BREAKING| Justice Yashwant Varma Cash Row : जजों की कमेटी ने आंतरिक जांच के बाद चीफ जस्टिस को रिपोर्ट सौंपी
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ उनके सरकारी आवास पर नकदी मिलने के आरोपों की आंतरिक जांच करने वाली जजों की कमेटी ने 4 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस नोट में कहा,
"पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए किया गया। कमेटी ने 03.05.2025 की अपनी रिपोर्ट 04.05.2025 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सौंप दी है।"
रिपोर्ट की विषय-वस्तु का अभी पता नहीं चल सका है।
22 मार्च को सीजेआई ने समिति का गठन किया था, जब आग बुझाने के अभियान के दौरान जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास के बाहरी हिस्से में एक स्टोर-रूम से अचानक नकदी का एक बड़ा भंडार मिलने की खबरें सामने आईं। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा जज थे। विवाद के बाद जस्टिस वर्मा को उनके पैतृक हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया।
सीजेआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस डीके उपाध्याय द्वारा दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर आंतरिक जांच का फैसला लिया, जिन्होंने कहा कि "पूरे मामले की गहन जांच की जरूरत है।"
जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिए अपने जवाब में नकदी रखने से इनकार किया और कहा कि स्टोर-रूम कर्मचारियों के लिए सुलभ था और खुला था। उन्होंने कहा कि जब आग बुझाने का अभियान चला, तब वे दिल्ली में मौजूद नहीं थे।
यह बताते हुए कि कोई नकदी जब्त नहीं की गई, जस्टिस वर्मा ने पूरे आरोपों को "उन्हें फंसाने की साजिश" करार दिया। सार्वजनिक पारदर्शिता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आग की घटना से संबंधित रिपोर्ट और दस्तावेज अपलोड कर दिए, जिनमें जलती हुई नकदी के फोटो और वीडियो भी शामिल हैं।