जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया बदलने तक उच्च न्यायपालिका में रिक्तियों का मुद्दा उठता रहेगा: कानून मंत्री किरेन रिजिजू

Update: 2022-12-15 11:54 GMT

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव नहीं होता, उच्च न्यायिक रिक्तियों का मुद्दा उठता रहेगा।

देश भर में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या के लिए न्यायिक रिक्तियों को जिम्मेदार ठहराते हुए, केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि सरकार के पास न्यायिक रिक्तियों को भरने की सीमित शक्ति है, हालांकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईाकेर्ट के जजों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि वे गुणवत्तापूर्ण जजों के नामों की सिफारिश करें।

केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा,

"संविधान के अनुसार, जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया अदालतों के परामर्श से सरकार के दायरे में थी ... आज न्यायिक रिक्तियों को भरने के लिए सरकार के पास बहुत सीमित शक्ति है। जिन नामों को सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाता है, उनके अलावा नए नामों का प्रस्ताव करने की कोई अन्य शक्ति नहीं है। मैंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि गुणवत्तापूर्ण जजों के नाम भेजे जाएं।"

उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे मतभेदों के बीच केंद्रीय कानून मंत्री के ये बयान आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त की है।


न्यायिक नियुक्तियों के मामलों में समय-सीमा का उल्लंघन करने के आरोप में केंद्र के खिलाफ बैंगलोर एडवोकेट्स एसोसिएशन ने एक अवमानना ​​याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों पर नाराजगी जाहिर की।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि कॉलेजियम प्रणाली "भूमि का कानून" है जिसका "पूरी तरह पालन" किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा,

"सिर्फ इसलिए कि समाज के कुछ वर्ग हैं जो कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ विचार व्यक्त करते हैं, इससे इसका देश का कानून होना समाप्त नहीं हो जाता।"

गौरतलब है कि इस मामले में 28 नवंबर को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ कानून मंत्रिय की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से न्यायिक नियुक्तियों के संबंध में कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून का पालन करने के लिए केंद्र को सलाह देने का भी आग्रह किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने याद दिलाया था कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नाम केंद्र के लिए बाध्यकारी हैं और नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा का कार्यपालिका द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि हाल ही में, कम से कम 3 मौकों पर, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम प्रणाली को अपारदर्शी और गैर-जवाबदेह, भारत के संविधान से अलग और नागरिकों द्वारा समर्थित नहीं कहकर इसका विरोध कर चुके हैं।

यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि राज्यसभा के सभापति, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर आलोचनात्मक टिप्पणी की थी, जिसने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) लाने के लिए पारित संवैधानिक संशोधन को पलट दिया था।

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