किसी विशेष सेवा में सीधी भर्ती और पदोन्नति लोगों की परस्पर वरिष्ठता सेवा नियमों के अनुसार निर्धारित की जानी है: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-11-12 10:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विशेष सेवा में सीधी भर्ती और पदोन्नत लोगों की परस्पर वरिष्ठता सेवा नियमों के अनुसार निर्धारित की जानी चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिकाकर्ताओं को प्रारंभ में विभिन्न जिलों में चकबंदी विभाग में चकबंदीकर्ता के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें वर्ष 1997 में विभिन्न तिथियों पर एसीओ के पद पर पदोन्नत किया गया। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की सिफारिश के आधार पर और उत्तर प्रदेश के तहत प्रदेश राजस्व चकबंदी सेवा नियम, 1992 (इसके बाद "1992 नियम" के रूप में संदर्भित) भर्ती प्रक्रिया के अनुसार सीधे एसीओ के पद पर सीधी भर्ती की गई। सीधी भर्तियों की नियुक्ति 18 अगस्त, 1997 को की गई। इस प्रकार, प्रोन्नत और सीधी भर्ती दोनों ही एसीओ के संवर्ग में 1997-1998 के भर्ती वर्ष में यानी 1 जुलाई, 1997 और 30 जून, 1998 के बीच आए।

रिट याचिकाकर्ताओं ने यह दावा करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उनकी वरिष्ठता उसी भर्ती वर्ष की सीधी भर्ती से ऊपर है। उनका तर्क था कि वरिष्ठता को उत्तर प्रदेश के नियम 8(3) के अनुसार दिया जाना आवश्यक है। सरकारी सेवकों की वरिष्ठता नियम, 1991 और उनके नामों को चक्रीय क्रम में रखा जाना है, यानी पदोन्नति पाने वाले के बाद सीधी भर्ती होगी। रिट याचिकाओं को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने आक्षेपित वरिष्ठता सूची को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि 1997 के पदोन्नत लोगों को उस वर्ष की सीधी भर्ती से ऊपर रखा जाए। डिवीजन बेंच ने अपील में एकल न्यायाधीश के निष्कर्षों को बरकरार रखा, लेकिन इसे इस हद तक संशोधित किया कि राज्य भर्ती एक वर्ष में नियुक्त सीधी भर्ती और पदोन्नत लोगों के लिए रोटा प्रणाली लागू करेगा।

अपील में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि पदोन्नति और सीधी भर्ती के बीच परस्पर वरिष्ठता 1992 के नियमों के अनुसार निर्धारित की जानी चाहिए।

अदालत ने कहा,

"1992 के नियम सीधी भर्ती के लिए 67% और पदोन्नत लोगों के लिए 33% का कोटा तय करते हैं। "भर्ती का वर्ष" को बारह महीने की अवधि के रूप में परिभाषित किया गया है, जो कैलेंडर वर्ष के जुलाई के पहले दिन से शुरू होता है। इस तरह वर्तमान मामले में भर्ती का वर्ष 1 जुलाई, 1997 से 30 जून, 1998 तक होगा।"

हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पीठ ने आगे कहा:

जब 1992 के नियमों में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि जहां भर्ती के किसी भी वर्ष में सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनों द्वारा नियुक्तियां की जानी है, तब तक नियमित नियुक्तियां नहीं की जा सकती हैं जब तक कि चयन दोनों स्रोतों से नहीं किया गया और संयुक्त सूची तैयार की जानी है। 1992 के नियमों के नियम 18 के अनुसार तैयार की गई, 29 जुलाई 2005 की वरिष्ठता सूची, जो सीधी भर्ती के लिए उच्च वरिष्ठता प्रदान करती है, उपरोक्त कारणों से कानून में टिकाऊ नहीं है।

केस टाइटलः अमित सिंह बनाम रवींद्र नाथ पांडे | लाइव लॉ (एससी) 953/2022 | सीए 8324-8327/2022 | 11 नवंबर, 2022 | जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्न

हेडनोट्स

सेवा कानून - उत्तर प्रदेश राजस्व चकबंदी सेवा नियम, 1992 - किसी विशेष सेवा में सीधी भर्ती और पदोन्नत व्यक्तियों की परस्पर वरिष्ठता सेवा नियमों के अनुसार निर्धारित की जानी है - जब 1992 के नियमों में विशेष रूप से जोर दिया गया है कि जहां भर्ती के किसी भी वर्ष में नियुक्तियों सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनों द्वारा की जानी है, नियमित नियुक्तियां तब तक नहीं की जा सकती हैं जब तक कि चयन दोनों स्रोतों से नहीं किया गया और 1992 के नियमों के नियम 18 के अनुसार संयुक्त सूची तैयार की जानी है- जो वरिष्ठता सूची प्रदान की गई है, वह सीधी भर्ती के लिए उच्च वरिष्ठता कानून में टिकाऊ नहीं है। (पैरा 25)

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