अग्रिम जमानत आवेदनों की जांच आवेदक के मामले तक सीमित होनी चाहिए, इसे तीसरे पक्ष के खिलाफ निर्देशित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-07-16 09:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि हाईकोर्ट के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत शक्तियों के प्रयोग में तीसरे पक्ष के खिलाफ अभियोग चलाना खुला नहीं है। उक्त प्रावधान अग्रिम जमानत से संबंधित है।

पटना हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश में प्रमोद कुमार सैनी नामक एक व्यक्ति और सह-आरोपियों की अग्रिम जमानत की कार्यवाही में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की उपस्थिति के लिए नोटिस जारी किया गया था। आदेश के खिलाफ दायर या‌चिका में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा, "हम मानते हैं कि हाईकोर्ट के लिए यह खुला नहीं है कि वह धारा 438 सीआरपीसी के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कार्यवाही में तीसरे पक्ष को जोड़े, जैसे कि यह सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश एक नियम 10 के तहत शक्तियों का आह्वान कर रहा है।"

खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि धारा 438 सीआरपीसी के तहत अग्रिम जमानत याचिका में हाईकोर्ट की जांच का दायरा काफी संकीर्ण है। आवेदन संबंधित आवेदक और उनके खिलाफ दर्ज अपराध तक सीमित होने के कारण, न्यायालय की जांच न्यायालय के समक्ष आवेदक के लिए प्रासंगिक तथ्यों तक ही सीमित होनी चाहिए। तीसरे पक्ष से संबंधित मामलों की कोई भी जांच, खासकर जब यह शिकायत के दायरे से बाहर हो, की अनुमति नहीं है।

राज्य की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए दलील दी कि उसने मामले का व्यापक दृष्टिकोण लिया है और इसलिए, कुछ पहलुओं की जांच करना हाईकोर्ट के लिए खुला था।

बेंच ने उनके सबमिशन को खारिज करते हुए कहा, "इस तरह की याचिका, अगर स्वीकार की जाती है, तो यह सत्र न्यायालय/उच्च न्यायालय को धारा 438 सीआरपीसी के तहत आवेदन के दायरे से परे जाने और न्यायालय द्वारा तय किए जाने वाले प्रासंगिक मामलों से परे जाने की अनुमति देने के खतरे से भरा है।"

सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य आरोपी की जमानत अर्जी पर विचार करते हुए सुब्रत रॉय को समन करने और निवेश वापस करने का निर्देश देने पर हाईकोर्ट के आदेश में दोष पाया।

केस टाइटल: सुब्रत रॉय सहारा बनाम प्रमोद कुमार सैनी और अन्य

सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (एससी) 601

केस नंबर और तारीख: SLP (Crl) No. 4877-4878 of 2022 | 14 July 2022

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