'लंदन में बैठे', 'ब्लैकमेलर': हरीश साल्वे और प्रशांत भूषण के बीच तीखी बहस; सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स मामले में ED से स्थिति स्पष्ट करने को कहा
नागरिक व्हिसलब्लोअर फोरम (Citizens Whistle Blower Forum) की याचिका पर सुनवाई के दौरान, जो इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मान कैपिटल) के खिलाफ SIT जांच की मांग करती है, सुप्रीम कोर्ट में आज सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और एडवोकेट प्रशांत भूषण के बीच तीखी बहस हुई।
भूषण ने साल्वे के उस शब्द “ब्लैकमेलर” (धमकाने वाला) के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई, जो उन्होंने याचिकाकर्ता फोरम के लिए कहा था। भूषण ने साल्वे पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने यह दावे करने की “हिम्मत” तब की जब वह लंदन में बैठे थे। भूषण ने यह भी बताया कि फोरम के अध्यक्ष पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एपी शाह हैं और इसके ट्रस्टीज़ में प्रोफेसर अरुणा रॉय, पूर्व नौसेना अधिकारी और भारत सरकार के सचिव शामिल हैं।
जवाब में साल्वे ने कहा कि अगर भूषण को जलन है तो वह भी लंदन चले जाएं। भूषण ने कहा कि साल्वे मामले में दाखिल हलफनामों (affidavits) की सामग्री से अनभिज्ञ हैं क्योंकि वह लंदन में बैठे हैं। इस पर साल्वे ने कहा, “साधारण अंग्रेजी में लिखे हलफनामे को किसी भी शहर में बैठकर पढ़ा जा सकता है।”
साल्वे, इंडियाबुल्स की ओर से, याचिका की सुनवाई की वैधता (maintainability) पर सवाल उठा रहे थे। याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि इंडियाबुल्स और उसकी कंपनियों के प्रमोटर्स ने फंड राउंड-ट्रिपिंग, कंपनी अधिनियम का उल्लंघन और धन का गबन किया।
सीनियर एडवोकेट मुखुल रोहतगी ने हल्के अंदाज में कहा कि अगली सुनवाई में साल्वे और भूषण लंदन से बहस कर सकते हैं, जबकि बाकी वकील अदालत में मौजूद रहेंगे।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत मुस्कुराए और कहा, “हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।”
सीनियर एडवोकेट कपिल सिबल ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि अनुभवी वकीलों को दूसरों के लिए अच्छा उदाहरण स्थापित करना चाहिए। सीनियर एडवोकेट डॉ. मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि वकील बहस में स्वतन्त्रता ले सकते हैं, लेकिन न्यायाधीशों के शब्द सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश हो सकते हैं।
साल्वे ने याचिका की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता “अजनबी” है और यह केवल “witch-hunting” कर रहा है। भूषण ने साल्वे से पूछा, “क्या आप कह रहे हैं कि अदालत के पास इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है?” साल्वे ने कहा, “नहीं, मैं कह रहा हूँ कि इसे सुना नहीं जाना चाहिए।” साल्वे ने यह भी कहा कि RBI ने हलफनामे में कहा है कि संबंधित लोन में कोई समस्या नहीं है।
भूषण ने साल्वे पर तंज कसते हुए कहा कि साल्वे को हलफनामों की जानकारी भी नहीं है क्योंकि वह लंदन में हैं। साल्वे ने जवाब दिया, “साधारण अंग्रेजी में लिखा हलफनामा किसी भी शहर में पढ़ा जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने CBI की प्रतिक्रिया के आधार पर कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप prima facie सही पाए गए हैं और ED को इंडियाबुल्स और उसके प्रमोटर्स की जांच जारी रखने के निर्देश दिए गए। एडिसनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि ED के हलफनामे से गंभीर मामलों का पता चलेगा।
भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर की कुछ हाउसिंग कंपनियों में CBI जांच का आदेश दिया, जहां prima facie अपराध पाया गया। उन्होंने कहा कि इंडियाबुल्स ने Vatika Group के साथ मिलकर कर्जों का गबन किया और कई लोगों को धोखा दिया।
भूषण ने यह भी कहा कि SEBI ने अपने हलफनामे में चौंकाने वाला निष्कर्ष दिया और MCA को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि MCA ने एक दिन में 200 से अधिक उल्लंघनों के मामलों को कंपाउंड किया, ज्यादातर related party transactions को छुपाने से जुड़े।
साल्वे ने जवाब दिया, “हर रुपये की वसूली हो चुकी है।” लेकिन भूषण ने कहा कि एक कंपनी, जिसका शेयर पूंजी केवल 25,000 रुपये थी, उसे 1000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया और फिर Vatika Group ने पैसा इंडियाबुल्स के मालिक की निजी कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया। भूषण ने कहा कि SEBI ने उनके आरोपों को सही ठहराया।
भूषण ने कहा कि समीयर गेहलौत देश छोड़कर लंदन में रह रहे हैं। साल्वे ने इसका विरोध किया और कहा, “उन्होंने देश क्यों छोड़ा?” भूषण ने कहा, “उन्होंने Yes Bank मामले में CBI के समन का जवाब नहीं दिया।” साल्वे ने कहा कि “फाइनल चार्जशीट में ऐसा कुछ नहीं है।”
आखिरकार, जस्टिस सूर्यकांत ने ASG से कहा कि अदालत MCA के मूल रिकॉर्ड देखना चाहती है और ED को CBI के निष्कर्षों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। अदालत ने ED को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई में अपने हलफनामे में CBI के हलफनामे के अनुसार उठाए गए कदम बताए।