सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत पर सुनवाई में 2 साल की देरी के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की आलोचना की

Update: 2025-07-29 07:41 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ज़मानत याचिका की सुनवाई में लगभग दो साल की देरी के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की आलोचना की।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें अभियुक्त अपनी ज़मानत याचिका को हाईकोर्ट में सूचीबद्ध न किए जाने से व्यथित था, क्योंकि उसकी याचिका आखिरी बार अगस्त, 2023 में सूचीबद्ध हुई थी। उस वक्त से शिकायतकर्ता या राज्य के कहने पर मामले को एक दर्जन से ज़्यादा बार स्थगित किया जा चुका है।

शिकायतकर्ता या राज्य के वकील के अनुरोध पर मामले को बार-बार स्थगित किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट हैरान था, जिसे उसने व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गहरा आघात बताया।

कोर्ट ने कहा,

"व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामले में अदालतों को संवेदनशील होना चाहिए और ऐसे मामलों में देरी नहीं करनी चाहिए और न ही बेमतलब के स्थगन देने चाहिए।"

तदनुसार, प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया और निर्देश दिया गया,

"इस आदेश की कॉपी माननीय चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए चंडीगढ़ स्थित पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजी जाए।"

Cause Title: JAGTAR SINGH VERSUS STATE OF PUNJAB

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