समाज में ऑनर किलिंग हो रही है: कोर्ट ने नाबालिग बेटी की हत्या कर शव जलाने वाले माता-पिता को उम्रकैद की सजा दी

Update: 2025-04-24 06:28 GMT
समाज में ऑनर किलिंग हो रही है: कोर्ट ने नाबालिग बेटी की हत्या कर शव जलाने वाले माता-पिता को उम्रकैद की सजा दी

ओडिशा के सेशन कोर्ट ने नाबालिग लड़की की हत्या कर उसके शव को जलाने और साक्ष्य छिपाने के आरोप में माता-पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई।

एडिशनल सेशन जज (FTSC-II), जाजपुर, विजय कुमार जेना ने इस कृत्य को 'ऑनर किलिंग' करार दिया लेकिन इसे दुर्लभतम में दुर्लभ मामलों की श्रेणी में नहीं माना। न्यायालय ने कहा कि “ऐसे अपराध समाज में हो रहे हैं इसलिए यह मामला दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता।"

मामले की पृष्ठभूमि:

सह-ग्रामवासी महिला ने 14.02.2016 की रात को अपने पड़ोसियों के घर से रोने की आवाज सुनने के बाद बिन्झरपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि मृतका अपने पिता से जीवन की भीख मांग रही थी और कह रही थी कि वह 'X' (अन्य आरोपी) से कोई शारीरिक संबंध नहीं रखेगी। थोड़ी देर बाद कोई आवाज नहीं आई।

अगली सुबह महिला ने देखा कि मृतका के माता-पिता और कुछ ग्रामीणों ने एक सूखे तालाब में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। फिर राख को प्लास्टिक की थैलियों में भरकर पास की नदी में फेंक दिया।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302/201/34 के तहत FIR दर्ज की और जांच पूरी होने के बाद चार्जशीट दाखिल की। मृतका के साथ अवैध संबंध के आरोपी को IPC की धारा 376(2)(i)/201 और POCSO की धारा 6 के तहत आरोपित किया गया।

अदालत के निष्कर्ष:

30 गवाहों की गवाही के आधार पर अदालत ने माना कि मृतका की जन्म तिथि 03.10.2000 थी, जिससे वह करीब 15 वर्ष की उम्र में नाबालिग थी।

कई गवाहों ने घटना की जानकारी से इनकार किया, उन्हें द्रोही (Hostile) गवाह घोषित किया गया। रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला ने कहा कि FIR खाली कागज पर उसके अंगूठे के निशान लेकर दर्ज की गई और उसे उसकी सामग्री नहीं बताई गई।

अन्य गवाह ने बताया कि माता-पिता ने हत्या की बात कबूली थी। बाद में शव को आत्महत्या का रूप देने के लिए फांसी पर लटकाया, फिर शव जलाकर राख नदी में फेंकी।

जांच अधिकारी ने भी माता-पिता के कबूलनामे और साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत मिले आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी की पुष्टि की।

अदालत ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत मृतका की मृत्यु और शव का क्या हुआ। इसका स्पष्टीकरण देना अभियुक्तों की जिम्मेदारी थी, जो उन्होंने नहीं दिया।

निर्णय और सजा:

अदालत ने माता-पिता को IPC की धारा 302/201 के तहत हत्या और साक्ष्य नष्ट करने का दोषी ठहराया। अन्य सह-ग्रामवासियों और अवैध संबंध वाले अभियुक्त को पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण बरी कर दिया गया।

अदालत ने कहा कि ऑनर किलिंग को दुर्लभतम अपराध नहीं माना जा सकता, क्योंकि ऐसे अपराध समाज में बार-बार हो रहे हैं। अतः माता-पिता को मृत्यु दंड नहीं देकर उम्रकैद की सजा दी गई। साथ ही धारा 201 के तहत 5 वर्षों की कठोर कारावास और जुर्माना भी लगाया गया।

केस टाइटल: State of Odisha v. Nakula Jena & Ors.

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