सरकार जब मन हो तब कोर्ट नहीं आ सकती : सुप्रीम कोर्ट ने काफ़ी देर हो जाने के कारण पश्चिम बंगाल सरकार की विशेष अनुमति याचिका ख़ारिज की

Update: 2020-06-21 06:15 GMT

सरकार को कभी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने का अधिकार नहीं है, यह कहते हुए शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार की विशेष अनुमति याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि अब इसमें काफ़ी देर हो चुकी है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ़ की पीठ विशेष अनुमति याचिका दायर करने में हुई देरी को नज़रंदाज़ करने के बारे में एक याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिका में 1697 दिनों की देरी को माफ़ करने का आग्रह किया गया था और इसका कारण यह बताया गया था कि इसमें आम लोगों का हित है और इसके अलावा कुछ और मामले भी लंबति हैं।

पीठ ने कहा,

"हम इतना ही कह सकते हैं कि अगर इस मामले में आम लोगों का हित शामिल है तो सरकार ने आम लोगों के हितों की गंभीर अनदेखी की है।"

अदालत ने कहा,

"देरी को माफ़ करने के बारे में जो आवेदन दिया गया है, उसको पढ़कर लगता है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी इतनी देरी होने पर इस मामले में एसएलपी दायर करने के लिए मैटर 18 फ़रवरी 2015 को तैयार था, जिसके बाद आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के आवेदन दिया गया (पता नहीं क्यों) और इसके बाद ढाई वर्षों के बाद 23.08.2018 को इसकी सुध आई। हम इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकते कि सरकार को इस अदालत में कभी भी आने का अधिकार है भले ही और मामले लंबित क्यों न हों।"

आवेदन को ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि अगर सरकार को इसकी वजह से कोई मौद्रिक या अन्य घाटा हुआ है तो वह इसकी वसूली उस व्यक्ति से हमेशा ही कर सकती है जिसकी वजह से सरकार को यह घाटा हुआ है।

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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