डीआरटी और डीआरएटी पीठासीन अधिकारियों के पद पर नियुक्ति से अधिवक्ताओं को बाहर करने के फैसले को चुनौती; सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रिब्यूनल, अपीलय ट्रिब्यूनल और अन्य प्राधिकरण (योग्यता, अनुभव, और सदस्यों की सेवा अन्य शर्तें) संशोधन नियम, 2021 के तहत पीठासीन अधिकारी और अध्यक्ष, ऋण वसूली न्यायाधिकरण और ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण के पद के लिए अधिवक्ताओं को बाहर करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की एक खंडपीट ने डीआरटी बार एसोसिएशन, दिल्ली की रिट याचिका पर पर नोटिस जारी किया, हालांकि फिलहाल ऋण वसूली न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए अधिवक्ताओं पर विचार पर निर्देश देने के संबंध में अंतरिम आदेश पारित करने के लिए रुचि नहीं दिखाई।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत डीआरटी बार एसोसिएशन दिल्ली द्वारा दायर याचिका ट्रिब्यूनल, अपीलीय न्यायाधिकरण और अन्य प्राधिकरण (योग्यता, अनुभव, और सदस्यों की सेवा की अन्य शर्तें) संशोधन नियम, 2021 के प्रावधानों को चुनौती देती है।
एडवोकेट वीरेश सहरिया द्वारा दायर और एडवोकेट संजीव भंडारी द्वारा ड्रॉ की गई याचिका में कहा गया है कि समान नियमों के तहत, अधिवक्ता 9 ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य / पीठासीन अधिकारी / अध्यक्ष के पद के लिए विचार करने के लिए पात्र हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई 2021 को मद्रास बार एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में अपने फैसले में निर्देश दिया था कि 10 साल के अनुभव वाले अधिवक्ताओं को न्यायिक सदस्य / पीठासीन अधिकारी/ ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष पद के लिए विचार के योग्य बनाया जाना चाहिए। मद्रास बार एसोसिएशन के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायाधिकरण सुधार अध्यादेश, 2021 द्वारा निर्धारित 50 साल की न्यूनतम आयु योग्यता को खारिज कर दिया था, और कहा था कि 10 साल के अनुभव प्राप्त अधिवक्ताओं को बाहर करना मनमाना और अनुचित है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि आक्षेपित नियमों के आधार पर, यूनियन ऑफ इंडिया ने 12 जुलाई 2021 को एक विज्ञापन जारी किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्ण उल्लंघन में अधिवक्ताओं को छोड़कर ऋण वसूली न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के पद के लिए पूरे भारत से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत से विज्ञापन को मनमाना, अवैध और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने का अनुरोध किया है।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया है कि दिल्ली में तीन ऋण वसूली न्यायाधिकरण हैं और पीठासीन अधिकारी के पद जनवरी 2020 से डीआरटी- I में, मार्च 2021 से डीआरटी- II में और जनवरी 2021 से डीआरटी- III में खाली पड़े हैं। .