हितबद्ध (इंट्रेस्टेड) व्यक्ति के साक्ष्य पर भी विचार किया जा सकता है बशर्ते इसकी पुष्टि हो : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-03-05 05:17 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हितबद्ध व्यक्ति के साक्ष्य पर विचार किया जा सकता है, बशर्ते ऐसे साक्ष्य रिकॉर्ड पर लाये गये अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुष्ट हों।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने कहा कि निकट संबंधी, जो स्वाभाविक गवाह होते हैं, को हितबद्ध गवाह नहीं माना जा सकता।

इस मामले में, अभियुक्त को हत्या के प्रकरण में समान रूप से दोषी ठहराया गया था। अभियोजन पक्ष का आरोप था कि अभियुक्त ने अपनी पत्नी और मृतक के बीच कथित संबंधों के कारण मृतक की हत्या कर दी थी। शीर्ष अदालत के समक्ष मामले की अपील में अभियुक्त ने दलील दी थी कि इस मामले के दोनों गवाह मृतक के भाई और मां थे, और इस प्रकार ये हितबद्ध गवाह हैं तथा इन्होंने ही यह साबित करने के लिए गवाही दी थी कि मृतक को अंतिम बार अभियुक्त के साथ देखा गया था।

इसी गवाही के आधार पर अभियुक्त को दोषी ठहराया गया था। इस दलील का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने दलील दी थी कि केवल इसलिए कि अभियोग साबित करने के लिए मृतक के भाई और मां से पूछताछ की गयी थी, उनकी गवाही को दरकिनार करने का कोई आधार नहीं है, बशर्ते ये रिकॉर्ड पर लाये गये मौखिक और अन्य दस्तावेजी साक्ष्य से पुष्ट होते हैं।

कोर्ट ने कहा,

"केवल इसलिए कि अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या अथार्त पीडब्ल्यू - तीन एवं पीडब्ल्यू - 12 सगे संबंधी हैं, उनकी गवाही को खारिज करने का कोई आधार नहीं हो सकता। इतना ही नहीं, निकटतम संबंधी, जो स्वाभाविक गवाह हैं, को हितबद्ध गवाह के रूप में नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से स्थापित तथ्य है कि यहां तक कि हितबद्ध व्यक्ति की गवाही पर भी विचार किया जा सकता है, बशर्ते ऐसे सबूतों को रिकॉर्ड पर रखे गये अन्य सबूतों द्वारा पुष्टि की जाती है।"

बेंच ने 'राम चंदर एवं अन्य बनाम हरियाणा सरकार (2017) 2 एससीसी 321' मामले में दिये गये फैसले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि कानून की नजर में ऐसी कोई स्थिति नहीं बनती है कि संबंधियों को झूठा गवाह समझा जाये।

रिकॉर्ड में रखे गये अन्य साक्ष्यों का संज्ञान लेते हुए बेंच ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने अकाट्य साक्ष्य पेश करके अभियुक्त के दोष को साबित किया है, जो तार्किक संदेह से परे है।

केस : राहुल बनाम हरियाणा सरकार [ सीआरए 262 / 2021 ]

कोरम : न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी

वकील : एडवोकेट तथागत हर्ष वर्धन, एएजी दिनेश चंदर यादव

साइटेशन : एलएल 2021 एससी 130

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