'हर नागरिक को सीखना चाहिए कि इस देश के संस्थानों का सम्मान कैसे करें': मौलिक कर्तव्यों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Update: 2022-02-21 10:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें संविधान में निहित नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को लागू करने की मांग की गई है।

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने मामले पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा। याचिका में तर्क दिया गया है कि मौलिक कर्तव्यों का पालन न करने का भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों पर सीधा असर पड़ता है।

याचिका में कहा गया है,

"मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को एक निरंतर यह बताना है कि, जबकि संविधान ने उन्हें विशेष रूप से कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं, इसके लिए नागरिकों को लोकतांत्रिक आचरण और लोकतांत्रिक व्यवहार के कुछ बुनियादी मानदंडों का पालन करना भी आवश्यक है क्योंकि अधिकार और कर्तव्य सहसंबद्ध हैं।

मौलिक कर्तव्य न्यायपालिका सहित कई संस्थानों की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं। यह प्रस्तुत किया गया है कि प्रत्येक नागरिक को इस देश की संस्थाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए, ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोगों द्वारा मौलिक कर्तव्यों का बेशर्मी से उल्लंघन किया गया है, जिनमें कानून के अधिकारी भी शामिल रहे हैं, और जो बदले में अन्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।"

एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड दुर्गा दत्त की ओर से दायर याचिका में यह माना गया कि कुछ बिखरे हुए कानूनों को छोड़कर, मौलिक कर्तव्यों के प्रवर्तन के लिए न तो एक समान नीति है और न ही एक व्यापक सं‌हिता है।

"यह समय की आवश्यकता है कि प्रत्येक नागरिक को भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को अक्षुण्‍ण रखने और उसकी रक्षा करने और अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए...इस देश के लोगों का कर्तव्य होना चाहिए कि वे देश की राष्ट्रीयता और अखंडता की रक्षा करें।"

माननीय श्री रंगनाथ मिश्रा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य 2003 Suppl (2) SCR 59 में दिए निर्णय पर भरोसा किया गया है, जिसमें केंद्र सरकार को इस पर विचार करने और संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए शीघ्र उचित कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए थे।

दत्त ने याचिका में केंद्र और राज्यों को मौलिक कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुपरिभाषित कानून बनाने और नागरिकों को अपने मौलिक कर्तव्यों को ठीक से निभाने के लिए निर्देश जारी करने की भी मांग की है ताकि रंगनाथ मिश्रा के फैसले को पूरी तरह से लागू किया जा सके।

मौलिक कर्तव्यों के कार्यान्वयन के संबंध में संचालन, प्रवर्तन और संवेदीकरण के लिए नागरिकों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राहत, भाग IV ए के प्रभावी कार्यान्वयन से संबंधित समीक्षा और संपूर्ण कानूनी ढांचे की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ ज‌स्टिस की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन की भी मांग की गई है।

याचिकाकर्ता ने मौलिक कर्तव्यों के प्रदर्शन के संबंध में लोगों को जागरूक करने और नागरिकों के बीच सामान्य जागरूकता फैलाने के लिए उचित पर्याप्त कदम उठाने के लिए दिशानिर्देश/ विनियम तैयार करने के लिए भी प्रार्थना की है।

केस शीर्षक: श्री दुर्गा दत्त बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य | WP(Civil) No 10329 of 2021. 

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