क्या मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कानून का सवाल खुला छोड़ा

Update: 2023-01-07 09:46 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर अपीलों का निस्तारण किया, जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 2016 में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणीय मंजूरी को अनिवार्य करने के आदेश को चुनौती दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में अपीलों को स्वीकार करते हुए एनजीटी के निर्देशों के संचालन पर रोक लगा दी। उसके बाद दिल्ली और नोएडा में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा हुआ।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने जब अपील 4 जनवरी को सुनवाई के लिए आई तो कहा कि प्रोजेक्ट के पूरा होने के मद्देनजर इस मुद्दे पर निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं है।

पीठ ने कहा,

"यह बताया गया और यह विवाद में नहीं है कि उसके बाद दिल्ली और नोएडा में पूरी मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा हुआ और मेट्रो ट्रेन चल रही है और बड़े पैमाने पर जनता द्वारा उपयोग की जा रही है। उस मामले को देखते हुए जब पूरी मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है और मेट्रो ट्रेन चल रही है, घड़ी को वापस नहीं लाया जा सकता है और यह व्यापक जनहित में भी नहीं होगा।"

हालांकि, पीठ कानून के सवाल को खुला रखने पर सहमत हुई।

पीठ ने आगे कहा,

"उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से जब पूरी मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है और दिल्ली और नोएडा में मेट्रो ट्रेन चल रही है और बड़े पैमाने पर जनता द्वारा उपयोग की जा रही है, हम वर्तमान अपीलों का निपटान करते हैं कि यहां ऊपर प्रस्तुत किए गए विवादित निर्देशों को मामले के विशेष तथ्यों और परिस्थितियों में कार्रवाई नहीं की जानी है।

हालांकि, यदि कोई कानून के प्रश्न हैं, चाहे ट्रेन प्रोजेक्ट/मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के संबंध में तो पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता है या नहीं और कानून के अन्य प्रश्न, यदि कोई हैं, उसको उचित कार्यवाही में विचार करने के लिए खुला रखा गया। वर्तमान आदेश को किसी भी अन्य मामलों में मिसाल के तौर पर उद्धृत नहीं किया जाएगा।"

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