"कहानी 2" फिल्म की स्क्रिप्ट पर कॉपीराइट उल्लंघन मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे डायरेक्टर सुजॉय घोष

Update: 2025-07-02 07:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (2 जुलाई) को नेशनल अवार्ड विजेता पटकथा लेखक और निर्देशक सुजॉय घोष द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कॉपीराइट एक्ट, 1957 की धारा 63 के तहत दायर आपराधिक मामला खारिज करने की मांग की गई थी। इस मामले में आरोप लगाया गया कि उनकी फिल्म "कहानी 2: दुर्गा रानी सिंह" चोरी की गई स्क्रिप्ट पर आधारित है।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने झारखंड राज्य और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए घोष को कार्यवाही में मजिस्ट्रेट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट दी।

झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की गई, जिसने आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग करते हुए घोष द्वारा CrPC की धारा 482 के तहत दायर याचिका को खारिज कर दिया था।

हजारीबाग के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उमेश प्रसाद मेहता ने शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि विद्या बालन अभिनीत फिल्म "कहानी 2" की स्क्रिप्ट, जो सुपरहिट फिल्म "कहानी" के सीक्वल के रूप में रिलीज हुई थी, उसने उनकी स्क्रिप्ट "सबक" के कॉपीराइट का उल्लंघन किया।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने जून, 2015 में घोष को "सबक" की स्क्रिप्ट सौंपी थी, जिससे फिल्म निर्माता संगठन के साथ स्क्रिप्ट को रजिस्टर्ड करने के लिए उनसे अनुशंसा पत्र प्राप्त किया जा सके। शिकायतकर्ता के अनुसार, उनकी स्क्रिप्ट का उपयोग दिसंबर, 2016 में रिलीज हुई फिल्म "कहानी 2" बनाने के लिए किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह धारा 63 के अनुसार कॉपीराइट उल्लंघन का अपराध है, इसलिए उन्होंने शिकायत दर्ज कराई।

घोष ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि उन्होंने नवंबर, 2012 में "कहानी 2" की स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया था और दिसंबर, 2013 में स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन के साथ फाइनल कॉपी रजिस्टर्ड की थी। उन्होंने शिकायतकर्ता से मिलने या उनकी स्क्रिप्ट प्राप्त करने से इनकार किया।

हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया कि तर्कों की योग्यता केवल एक परीक्षण में ही तय की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष घोष ने तर्क दिया कि मजिस्ट्रेट ने बिना किसी प्रथम दृष्टया विचार किए दोनों स्क्रिप्ट की तुलना किए बिना यंत्रवत् समन आदेश जारी किया, जिससे यह पता लगाया जा सके कि वे समान हैं या नहीं। शिकायत में "कहानी" की स्क्रिप्ट नहीं दी गई और मजिस्ट्रेट ने बिना किसी विचार के सीधे समन जारी कर दिया।

याचिका में कहा गया,

"आक्षेपित आदेश खतरनाक मिसाल कायम करता है, जहां कॉपीराइट उल्लंघन का कोई मामला बनाए बिना स्वार्थी आरोपों के आधार पर ईमानदार फिल्म निर्माता के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। यह CrPC की धारा 200-204 के तहत प्रक्रिया जारी करने के संबंध में स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत है।"

इसमें कहा गया कि शिकायत उत्पीड़न का एक साधन मात्र है।

उन्होंने तर्क दिया कि जब "कहानी 2" की स्क्रिप्ट "सबक" की स्क्रिप्ट के रजिस्ट्रेशन से दो साल पहले रजिस्टर्ड की गई थी तो कॉपीराइट उल्लंघन के आरोप का कोई आधार नहीं हो सकता। उन्होंने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का मुद्दा भी उठाया और तर्क दिया कि शिकायत हजारीबाग में सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि कथित अपराध पूरी तरह से मुंबई में हुआ है।

यह तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र का उचित उपयोग नहीं किया, क्योंकि वह "बेतुके और स्वाभाविक रूप से असंभव आरोपों वाली तुच्छ शिकायत" को खारिज करने में विफल रहा।

Case : Sujoy Ghosh v. State of Jharkhand | SLP(Crl) No. 9452/2025

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