दिल्ली हाईकोर्ट ने एडवोकेट्स वेलफेयर फंड ट्रस्ट और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से कहा, COVID19 के कारण परेशान अधिवक्ताओं को सहायता प्रदान करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करें

Update: 2020-06-24 09:17 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने एडवोकेट्स वेलफेयर फंड ट्रस्ट और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से कहा है कि वह एक रिपोर्ट पेश करके यह बताए कि COVID19 के कारण अधिवक्ताओं को जिन वित्तीय कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, उनको दूर कैसे किया जाए और इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया जाए।

पीठ ने माना है कि चैरिटी करने के लिए ट्रस्ट को  परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है। 

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की डिवीजन बेंच ने वेलफेयर फंड और बीसीडी दोनों से अनुरोध किया है कि वे विभिन्न हितधारकों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से परामर्श करें और आपस में मिलकर इस मुद्दे को कोई हल निकालें।

पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के बाद जारी है,जिसमें कहा गया था कि COVID19  के कारण वित्तीय कठिनाई झेलने वाले एडवोकेट्स वेल्फेयर फंड  के प्रत्येक सदस्य को 25-25 हजार रुपये की सहायता दी जाए। 

याचिका में कहा गया था कि इस तरह की राशि केवल उन्हीं अधिवक्ताओं को दी जानी चाहिए, जो उचित सत्यापन के बाद संबंधित कोष की ट्रस्ट कमेटी के समक्ष अपना ज्ञापन या अभ्यावेदन पेश करते हैं। 

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिहरन ने दलील दी थी कि अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम की धारा 24 COVID19   के कारण उत्पन्न हुए मामलों या परिस्थितियों को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

श्री हरिहरन ने कहा कि 'इस धारा के खंड (ई) की ट्रस्ट कमेटी द्वारा उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए ताकि  इस कठिनाई के कारण पीड़ित वकीलों की सहायता की जा सके।

श्री हरिहरन ने यह भी कहा कि ट्रस्ट कमेटी को COVID19  को एक प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए और ऐसे वकीलों की मदद करना चाहिए, जिनके पास पर्याप्त आय के स्रोत नहीं हैं।

श्री हरिहरन ने कहा,

'फंड का एक बहुत बड़ा कोष है, जिसका उपयोग किया जा सकता है।'

इसके अतिरिक्त, श्री हरिहरन ने यह भी दलील दी कि बार काउंसिल को कहा जाना चाहिए कि वह   बार काउंसिल के नियमों के नियम 44 के तहत इस संबंध में एक योजना तैयार करें। 

एडवोकेट्स वेलफेयर फंड ट्रस्ट के लिए पेश होते हुए एएसजी संजय जैन ने कहा कि ट्रस्ट कमेटी अधिनियम की धारा 19 के तहत 'चिकित्सा जरूरतों' के रूप में COVID19 के मामलों पर विचार करने के लिए तैयार है। ताकि उन लोगों को  मुआवजा या सहायता प्रदान की जा सकें  जो पहले से ही फंड  के साथ नामांकित हैं।

हालांकि, श्री जैन ने इंगित किया कि इन मामलों में धारा 19 के तहत पहले से ही  मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। श्री जैन ने बताया कि मुआवजे की यह राशि केवल चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में हुए खर्च के मामलों में ही दी जा सकता है या ऐसे मामलों में दी जा सकती है, जहां पर इस बीमारी के इलाज पर खर्च हुआ है।

श्री जैन ने यह भी कहा कि,'हम COVID19 बीमारी के मामले में ज्ञापन या अभ्यावेदन स्वीकार करने के लिए तैयार हैं और एक पखवाड़े के भीतर ही इन पर फैसला कर लेंगे। हम ऐसे मामलों में देरी नहीं करेंगे,लेकिन एक्सग्रेटिया मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सकता है।' 

श्री जैन ने अदालत को यह भी सूचित किया कि उनके पास सीमित फंड  है, जिसका उपयोग केवल चिकित्सा खर्चों की भरपाई के लिए किया जा सकता है।

श्री जैन ने कहा कि,'

'ऐसे कई COVID  मरीज हो सकते हैं जो इस फंड के लिए आवेदन करेंगे। हम किसी अन्य उद्देश्य के लिए पैसा नहीं दे सकते हैं।'

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के लिए पेश होते हुए  केसी मित्तल ने कहा कि परिषद  पहले ही अधिवक्ताओं के लाभ के लिए 16,000 आवेदनों के तहत 8 करोड़ रुपये का वितरण कर चुकी है। 

श्री मित्तल ने आगे यह भी बताया कि वित्तीय संकट के कारण, काउंसिल बिल्डिंग फंड और लाइब्रेरी फंड से पैसा निकाल रही है। इसके अलावा, परिषद लगातार उन वकीलों के संपर्क में भी है जो COVID19  के कारण अस्पतालों में भर्ती हैं।

श्री मित्तल  ने कहा कि,'4 वकील पहले ही COVID19  से मर चुके हैं। हम बीसीडी में शुरू से ही पीड़ित अधिवक्ताओं की सहायता के लिए एक COVID19  हेल्पलाइन बनाना चाह रहे हैं।' 

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