बिना लाइसेंस के फायरआर्म्स के उपयोग पर अंकुश: सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान मामले में केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय से बिना लाइसेंस वाली फायरआर्म्स के उपयोग से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब मांगा।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य में बिना लाइसेंस वाली फायरफार्म्स के बारे में स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए समस्या को "गंभीर" करार दिया।
खंडपीठ ने कहा,
"राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बिना लाइसेंस वाले फायरआर्म्स के खतरे और वर्षों से मामलों की संख्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को इंगित करेंगे।"
एमिक्स क्यूरी के सीनियर एडवोकेट एस नागमुथु ने सूचित किया कि इस मुद्दे की समग्र तस्वीर के लिए अन्य राज्यों से इनपुट आवश्यक होगा, जिसके बाद कोर्ट ने यह निर्देश पारित किया।
उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है, जिस पर अदालत को ध्यान देने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में प्रवृत्ति को "परेशान करने वाला" बताते हुए देश में बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के फायरफार्म्स के कब्जे और उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया।
'भारत में हथियार रखने का कोई मौलिक अधिकार नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने बिना लाइसेंस वाले फायरफार्म्स पर स्वत: संज्ञान लिया
इसके अलावा कोर्ट ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशक और गृह मंत्रालय को अलग-अलग निर्देश जारी किए। पूर्व को दो पहलुओं यानी चरणों और मामलों की संख्या पर अलग-अलग हलफनामे दाखिल करने के लिए कहा गया।
केंद्रीय मंत्रालय से आर्म्स एक्ट के बेहतर क्रियान्वयन और कानून को मजबूत करने के सुझावों पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया।
मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में बिना लाइसेंस वाली फायरआर्म्स के इस्तेमाल पर हर कीमत पर रोक लगाई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने देश में बिना लाइसेंस के फायरफार्म्स के इस्तेमाल पर कहा,
"बेरहमी से इसे जड़ से उखाड़ फेंकना है।"
मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते में होगी।
केस टाइटल: राजेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य