COVID-19 अस्पतालों में आग : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से अग्नि सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट तलब की
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात राज्य को 11 दिसंबर तक COVID-19 अस्पतालों में आग की घटनाओं की जांच की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ को आज केंद्र के लिए सॉलिसिटर जनरल ने उपस्थित होकर सूचित किया कि राज्यों की अग्नि सुरक्षा ऑडिट के संबंध में रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
कानून अधिकारी ने कहा,
"कई राज्यों को हमें 4 दिसंबर को रिपोर्ट करने की आवश्यकता थी, लेकिन कुछ में देरी हुई है, इसलिए हम एक रिपोर्ट दर्ज नहीं कर पाए हैं।"
पीठ ने कहा और फिर केंद्र को इसे दर्ज करने के लिए और समय दिया,
"आपको उन राज्यों के साथ दायर करना चाहिए जिन्होंने अनुपालन किया है।"
न्यायमूर्ति भूषण ने कहा,
"हम आपको इसे दर्ज करने के लिए और समय देंगे।"
अहमदाबाद के कोविड अस्पताल में आग से जलने से मृत व्यक्ति पति की पत्नी की ओर से हस्तक्षेपकर्ता के तौर पर अधिवक्ता अपर्णा पेश हुईं।
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को यह भी सूचित किया कि,
COVID-19 अस्पतालों में आग लगने की जांच के लिए समिति को गठित किया गया है। इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सकता था।"
जस्टिस शाह ने पूछा,
"इस समय समिति ने क्या किया है?"
सॉलिसिटर जनरल ने कहा,
"हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, सच्चाई सामने आनी चाहिए। चूंकि कोविड अस्पताल में आग लगने की घटना की जांच के लिए एक समिति (राजकोट) का नेतृत्व जस्टिस मेहता कर रहे हैं, वही समिति अहमदाबाद में भी गठित जा सकती है।"
इसके साथ, अदालत ने आदेश दिया कि अग्नि सुरक्षा ऑडिट के संबंध में, राज्यों द्वारा सभी आंकड़ों का संकलन 3 दिनों के भीतर दायर किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि अहमदाबाद आग की घटना की भी जांच उसी समिति द्वारा की जा सकती है जिसे राजकोट अग्निकांड की जांच के लिए नियुक्त किया गया था।
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि 3.12.2020 को उसके निर्देशों के अनुसार, राज्यों द्वारा सुझाव (कोविड सुरक्षा उपायों का अनुपालन सुनिश्चित करने और मास्क लगाने को लागू करने के लिए) इस सप्ताह के अंत तक रिकॉर्ड पर लाए जा सकते हैं।
3 दिसंबर को अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि वे COVID-19 के दौरान दिशानिर्देशों के उचित कार्यान्वयन और सामाजिक दूरी और मास्क पहनने के लिए सुझाव दें।
पीठ ने कहा था कि सामाजिक दूरी और मास्क पहनना सुनिश्चित करने के लिए भी कड़े दिशा-निर्देश लागू है, लेकिन वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं कर रहे हैं और न ही अधिकांश राज्यों द्वारा उनका पालन किया जा रहा है।
कोर्ट ने तब इस दलील पर ध्यान दिया कि राजनीतिक, धार्मिक, औपचारिक समारोहों में बड़ी सार्वजनिक सभाएं हुई हैं, जहां सामाजिक दूरी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और ऐसे सामाजिक समारोहों की जांच के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं है और राज्यों और केंद्र को समय दिया गया कि वो इस संबंध में उचित सुझाव दें ताकि अदालत द्वारा उचित निर्देश जारी किए जा सकें और और 7 दिसंबर, 2020 तक अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य को विभिन्न अस्पतालों, बुनियादी सुविधाओं और वहां उपलब्ध सुविधाओं में कोविड रोगियों के उपचार के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए नोटिस जारी किया और 9 दिसंबर, 2020 को विचार के लिए स्वत: संज्ञान याचिका को सूचीबद्ध किया।
स्वत: संज्ञान मामले, "इन रि : फॉर प्रॉपर ट्रीटमेंट ऑफ COVID -19 पेशेंट्स एंड डिग्नीफाइड हैंडलिंग ऑफ डेड बॉडीज इन द हॉस्पिटल, ETC" में निर्देश जारी किए गए थे।
न्यायालय ने इससे पहले 27 नवंबर की सुबह गुजरात के राजकोट में COVID-19 नामित अस्पताल में आग लगने के कारण मरीजों की मौत का संज्ञान लिया था।
इस प्रकाश में, सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को सूचित किया कि एक बैठक बुलाई गई और परिसर को बनाए रखने और निरीक्षण करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए थे।
पिछले महीने, शीर्ष अदालत ने कहा था कि आने वाले महीनों में राज्यों के साथ-साथ देश में महामारी की स्थिति और खराब होने की संभावना है और केंद्र को कोविड 19 संकट से निपटने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित होना चाहिए।
इस प्रकाश में, बेंच ने दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और असम राज्यों को निर्देश दिया था कि वे संबंधित राज्यों में COVID-19 मामलों के संबंध में संकट से निपटने के लिए जमीनी स्थिति और साथ ही उठाए गए कदम पर स्टेटस रिपोर्ट दायर करें।