स्वतंत्र रिपोर्टिंग के कारण छापे अवैध, अदालतों को मीडिया पर हमले रोकने चाहिए: जस्टिस आरएफ नरीमन

Update: 2023-12-16 06:22 GMT

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने कहा कि मीडिया पर हमले को तुरंत रोकने के लिए अदालतों को सतर्क रहना चाहिए।

उन्होंने कहा,

अगर किसी मीडिया हाउस के खिलाफ उसके द्वारा की गई कुछ स्वतंत्र रिपोर्टिंग के कारण छापे मारे जाते हैं तो अदालतों को केवल उसी आधार पर ऐसे छापों को अवैध और असंवैधानिक घोषित करना चाहिए।

यदि मीडिया की रक्षा नहीं की गई तो हम समाप्त हो जाएंगे। पूर्व जज ने इस बात पर जोर देते हुए आगाह किया कि मीडिया निगरानीकर्ता है।

जस्टिस नरीमन ने 'संविधान: नियंत्रण और संतुलन' विषय पर श्रीमती बंसारी शेठ बंदोबस्ती व्याख्यान देते हुए ये मौलिक टिप्पणियां कीं।

उन्होंने व्याख्यान की शुरुआत यह कहकर की कि देश में हाल की कुछ घटनाएं बहुत परेशान करने वाली हैं। सबसे पहले, उन्होंने प्रधानमंत्री के बारे में डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के बाद बीबीसी के खिलाफ किए गए कर छापों का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा,

"सबसे पहले, साल की शुरुआत में बीबीसी की यह डॉक्यूमेंट्री थी, जो हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में बात कर रही थी, जिसे तुरंत प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रतिबंध के बाद टैक्स छापे डालकर बीबीसी को परेशान किया गया।"

जस्टिस नरीमन ने कहा कि अदालतों को मीडिया पर हमलों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लानी चाहिए। जैसे ही मीडिया पर कोई हमला होता है, अदालतों को इसे तुरंत रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए।

उन्होंने कहा,

"जिस क्षण मीडिया पर कोई हमला होता है, अदालतों को तुरंत इसे रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए। यदि आप पाते हैं कि कुछ स्वतंत्र रिपोर्टिंग के कारण कुछ ऐसा हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप कर छापा पड़ा है तो केवल उसी कारण से आपको कहना होगा कि टैक्स छापेमारी अवैध और असंवैधानिक है। यही एकमात्र तरीका है, जिससे आप मीडिया और इस देश की रक्षा कर सकते हैं। अन्यथा, आप समाप्त हो गए। यह प्रहरी है। यह हमारा प्रहरी है और यदि हमारा प्रहरी मारा जाता है तो कुछ भी नहीं बचा है।"

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