सुप्रीम कोर्ट अस्पताल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग करने वाली माता-पिता की याचिका पर विचार करने वाला है, जिसने कथित तौर पर प्रसव के तुरंत बाद उनके बेटे को एक लड़की से बदल दिया था।
जस्टिस मनोज कुमार और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रायपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल के निदेशक और उनकी पत्नी (जो अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं) के खिलाफ प्रसव के तुरंत बाद शिशु के अपहरण के कथित अपराध के लिए FIR दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने प्राइवेट हॉस्पिटल में एक लड़के और एक लड़की को जन्म दिया। हालांकि, जल्द ही उसे पता चला कि लड़के और लड़की की बजाय दो लड़कियां हैं। उसने शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद DNA टेस्ट कराया गया, जिसमें पता चला कि एक लड़की का DNA उसके जैविक माता-पिता से मेल खाता था। हालांकि, दूसरी लड़की का DNA माता-पिता/याचिकाकर्ताओं से मेल नहीं खाता था।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया,
"यह स्पष्ट रूप से बच्चे बदलने का मामला था।"
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, गहन जांच के बाद ही जांच शुरू की जानी चाहिए थी, जबकि हाईकोर्ट ने उपरोक्त पहलुओं की जांच किए बिना ही याचिका को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विचार की आवश्यकता है।
अब इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
हाईकोर्ट ने छह एक्सपर्ट डॉक्टरों वाली जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर याचिका खारिज कर दी थी, जिसने किसी भी गड़बड़ी की संभावना से इनकार किया था।
Case Details : USHA SINGH & ANR. VERSUS THE STATE OF CHHATTISGARH & ORS.| SPECIAL LEAVE PETITION (CRIMINAL) Diary No(s). 27076/2025