संवैधानिक न्यायालय मंदिर के दैनिक अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता: तिरुपति मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा

Update: 2021-11-16 13:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट

तिरुपति तिरुमाला मंदिर में अनुष्ठानों में अनियमितता का आरोप लगाते हुए एक भक्त द्वारा दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संवैधानिक अदालत मंदिर के दैनिक अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केवल मंदिर प्रशासन से संबंधित मुद्दों को देख सकता है जो निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन नहीं करते हैं। लेकिन न्यायालय के लिए कर्मकांडों और सेवा से संबंधित मुद्दों में हस्तक्षेप करना संभव नहीं है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने पार्टी-इन-पर्सन श्रीवारी दादा से पूछा, "क्या हम मंदिर के अनुष्ठानों में हस्तक्षेप कर सकते हैं? नारियल कैसे तोड़ें या आरती कैसे करें?"

यह देखते हुए कि एक संवैधानिक अदालत एक मंदिर के दिन-प्रतिदिन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है, अदालत ने भक्त की विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया, जिसे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस जनहित याचिका को खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए दायर किया गया था, जिसमें तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी के अनुष्ठान और सेवा करने की विधि में सुधार करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या यह मंदिर की परंपरा से कोई विचलन है, इसे केवल उपयुक्त ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर एक दीवानी मुकदमे में ही निर्धारित किया जा सकता है।

सीजेआई एनवी रमाना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने आदेश में कहा, "याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत मंदिर के दिन-प्रतिदिन के मामलों में हस्तक्षेप करने की प्रकृति की है, जिस पर संवैधानिक अदालत सुनवाई नहीं कर सकती है।"

हालांकि, पीठ ने कहा कि अगर प्रशासन के नियमों और विनियमों का पालन नहीं करने से संबंधित कोई समस्या है, तो तिरुपति थिरुमाला देवस्थानम को जवाब देने की जरूरत है।

कोर्ट ने इस निर्देश के साथ एसएलपी का निपटारा किया कि प्रशासन को याचिकाकर्ता की शिकायतों का 8 सप्ताह के भीतर जवाब देना है। उसके बाद अगर फिर भी कोई शिकायत रह जाती है तो याचिकाकर्ता को उचित फोरम का रुख करना होगा।

अदालत ने इससे पहले देवस्थानम को याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन का जवाब देने का निर्देश दिया था। जवाब में देवस्थानम ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया था कि भगवान वेंकटेश्वर की सेवा परम पावन पेद्दा जीयंगर स्वामी और चिन्नयाजींगर स्वामी की देखरेख में अर्चकों द्वारा वैखानस गम के अनुसार की जाती है।

हलफनामे में टीटीडी ने यह भी प्रस्तुत किया है कि परम पावन रामानुजाचार्य ने सही जांच और संतुलन की शुरुआत की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेवा/उत्सव वैखानस आगम के अनुसार सख्ती से आयोजित किए जाए।

यह आगे प्रस्तुत किया गया है कि धार्मिक कर्मचारियों और मंदिर के अन्य पुजारियों द्वारा अनुष्ठान अत्यंत ईमानदारी, विश्वास और भक्ति के साथ किया जाता है।

केस टाइटल : श्रीवारी दादा बनाम तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम, एसएलपी (सी) संख्या 6554/2021

Tags:    

Similar News