सीबीआई में अंतरिम निदेशक के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट से नियमित निदेशक की नियुक्ति की मांग
कॉमन कॉज़ सोसाइटी ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 4 ए के अनुसार, सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के एक नियमित निदेशक की नियुक्ति की मांग की है।
जनहित याचिका में इसी साल दो फरवरी को ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, अंतरिम / कार्यवाहक सीबीआई निदेशक के रूप में प्रवीण सिन्हा की नियुक्ति का विरोध भी किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत कानून के शासन को बनाए रखने और नागरिकों के अधिकारों को लागू करने के लिए वैधानिक कानून के अनुसार पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति आवश्यक है।
इसमें कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के खिलाफ प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ, (2019) 4 SCC 13 के मामले को भी संदर्भित किया गया है,और तर्क दिया है कि जैसे राज्यों में डीजीपी पुलिस बल के प्रमुख होते हैं और वैसे ही सीबीआई निदेशक प्रमुख केंद्रीय जांच एजेंसी का नेतृत्व करते हैं।
इस प्रकार, सीबीआई निदेशक के मामले में पूर्वोक्त दिशा-निर्देश को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए ताकि केंद्र किसी भी व्यक्ति को निदेशक / सीबीआई के रूप में कार्यवाहक / अंतरिम आधार पर नियुक्त करने के विचार की कल्पना ना करे।
उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश जारी करे कि वो डीएसपीई अधिनियम की धारा 4 ए के अनुसार सीबीआई के नियमित निदेशक को नियुक्त करे।
[प्रावधान में कहा गया है कि केंद्र सरकार प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करेगी।]
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी सामान्य दिशा- निर्देश मांगे हैं कि सीबीआई निदेशक के पद पर रिक्ति से 1 से 2 महीने पहले ही केंद्र सरकार सीबीआई निदेशक के चयन की प्रक्रिया को अग्रिम रूप से शुरू करे।
इस संदर्भ में, इसमें अंजलि भारद्वाज बनाम भारत संघ, (2019) 18 SCC 246 के मामले को संदर्भित किया है, जहां केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों के रिक्त पदों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई की थी,
"यह उचित होगा कि किसी विशेष रिक्ति को भरने की प्रक्रिया उस तिथि से 1 से 2 महीने पहले शुरू की जाए, जिस दिन रिक्ति होने की संभावना है, ताकि रिक्ति होने और उसे भरने के बीच अधिक समय अंतराल न हो। "
ये याचिका अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई है।