स्थायी विकलांगता के मामलों में मोटर दुर्घटना मुआवजा देते समय दावेदारों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर विचार किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-12-10 13:46 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए एक फैसले में कहा कि मोटर दुर्घटनाओं के कारण स्थायी विकलांगता के मामलों में मुआवजा देते समय दावेदारों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर विचार किया जाना चाहिए।

जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने मोटर दुर्घटना मुआवजा बढ़ाने की मांग संबंधी अपील को स्वीकार करते हुए यह बात कही।

मामले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने उन्हें 15,76,465/- रुपये का मुआवजा दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने मुआवजे को बढ़ाकर 16,70,932/- रुपये करने की अपील को स्वीकार कर लिया।

अपील में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि दावेदार को 70% की स्थायी विकलांगता का सामना करना पड़ा था और अन्य चोटों के बीच उसका दाहिना निचला अंग काट दिया गया था।

कोर्ट ने कहा,

"अपीलकर्ता वेतनभोगी नहीं है, बल्कि उसका खुद का व्यवसाय है। अपीलकर्ता को अपनी आय बढ़ाने में सक्षम होने के लिए, उसे निश्चित रूप से इधर-उधर जाने की आवश्यकता है। अपीलकर्ता स्वयं भी ड्राइव नहीं कर सकता है, जो उसकी गतिशीलता में बाधा डालता है।यह साबित करता है कि अपीलकर्ता की कार्यात्मक अक्षमता उसकी कमाई क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी, और हाईकोर्ट द्वारा गणना की गई 35% कार्यात्मक अक्षमता मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में गलत है और हमारे विचार में भविष्य की कमाई का नुकसान क्षमता की गणना 60% पर की जानी चाहिए।"

अपील की अनुमति देते हुए, अदालत ने कहा कि दावेदार/अपीलकर्ता आवेदन करने की तारीख से 9% प्रति वर्ष ब्याज के साथ 38,70,120 रुपये के मुआवजे के लिए हकदार है। पीठ ने कहा कि हाशिए के लोगों को अक्सर शारीरिक अक्षमताओं के कारण ज्यादा भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

"ऐसा इसलिए है क्योंकि समाज के हाशिए के वर्गों के लोग पहले से ही सामाजिक पूंजी की कमी के कारण गंभीर भेदभाव का सामना करते हैं, और नई विकलांगता ज्यादातद इस तरह के भेदभाव को कम नहीं करती। ऐसी परिस्थितियों में न्याय के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए, कोर्ट का यह कर्तव्य बन जाता है कि कम से कम दावेदार को उस स्थिति में बहाल करना चाहिए, जिस स्थिति में वह विकलांगता की घटना से पहले था, और ऐसा करने के लिए उदार तरीके से मुआवजा देना चाहिए।"

केस डिटेलः मोहम्मद सबीर @ शब्बीर हुसैन बनाम क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीएसआरटीसी | 2022 लाइवलॉ (SC) 1017 | CA 9070-9071 Of 2022 | 9 दिसंबर 2022 | जस्टिस कृष्ण मुरारी और एस रवींद्र भट

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