सीजेआई यूयू ललित ने एनएलयू ओडिशा के 9वें दीक्षांत समारोह में 'KHOJ' डेटासेट का अनावरण किया
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) उदय उमेश ललित, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह और उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. जस्टिस एस मुरलीध और चांसलर, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा, कटक (एनएलयूओ) ने पिछले शनिवार को एनएलयूओ के नौवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर 'KHOJ' (अपने हाईकोर्ट के जज को जानें) नामक डेटासेट का अनावरण किया।
इस तरह यह डेटासेट भारत में अपनी तरह का पहला डेटासेट है। यह 6 अक्टूबर, 1993 (कॉलेजियम की स्थापना) और 31 मई, 2021 के बीच नियुक्त 1,708 हाईकोर्ट के जजों के 43 चरणों में व्यक्तिगत, शैक्षिक और व्यावसायिक पृष्ठभूमि के विवरण को कैप्चर करता है। इसमें 27 फाइलें हैं, जिनमें विभिन्न पहलुओं पर न्यायाधीशों का डेटा दिया गया है।
जिन आधार पर डेटा एकत्र किया गया, उनमें से निम्नलिखित प्राइमरी वेरियबल्स इस प्रकार हैं,
1. पृष्ठभूमि की जानकारी - उनके नाम, जन्म स्थान, जन्म तिथि, लिंग आदि के आसपास केंद्रित 7 वेरियबल्स हैं।
2. शिक्षा संबंधी जानकारी - ऐसे 10 वेरियबल्स हैं, जिनके माध्यम से डेटासेट ने स्कूली शिक्षा, यूनिवर्सिटी और हायर एजुकेशन से लेकर उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि को कैप्चर किया है। हालांकि इसने सभी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं को पकड़ने का प्रयास किया गया है। हालांकि, फिर भी यह खंड कंप्लीट नहीं है, क्योंकि कुछ ऐसा डेटा हो सकता है, जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं हैं।
3. न्यायिक नियुक्तियों से पहले का अनुभव - न्यायाधीशों के पेशेवर अनुभवों पर आधारित 10 वेरियबल्स हैं, जिसमें मुकदमेबाजी और प्रशासनिक अनुभव शामिल हैं। यदि उन्हें सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों, वैधानिक निकायों या निजी कंपनियों द्वारा सूचीबद्ध किया गया है।
4. न्यायिक नियुक्ति (नियुक्तियों) से संबंधित जानकारी - उनकी नियुक्तियों, हाईकोर्ट से ट्रांसफर, सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों आदि के आसपास केंद्रित 13 वेरियबल्स हैं।
डेटासेट का परिचय देते हुए प्रो. (डॉ.) रंगिन पल्लव त्रिपाठी, डीन (अकादमिक), एनएलयूओ ने कहा,
"यह डेटासेट उन शोधकर्ताओं के लिए मार्ग खोलता है, जो हाईकोर्ट की संरचना में गहराई से या व्यापक जांच करना चाहते हैं और जो न्यायशास्त्र अध्ययन करना चाहते हैं। साथ ही न्यायिक व्यवहार और न्यायाधीशों की पृष्ठभूमि के बीच संबंधों का पता लगाना चाहते हैं।"
डेटासेट 15 महीनों के संयुक्त प्रयास का परिणाम है, जिसमें 30 से अधिक छात्र और 10 पेशेवर शामिल हैं। इस डेटाबेस को तैयार करने के लिए उन्होंने स्वेच्छा से अपना समय और प्रयास किया। यह एनएलयूओ के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी, लॉ एंड गुड गवर्नेंस, अगामी और सिविक डेटा लैब के बीच सहयोग था।
इसकी शुरुआत 'समर ऑफ डेटा 2021' कार्यक्रम से हुई, जहां देश भर के छात्र आधिकारिक और सार्वजनिक रूप से सुलभ डेटा स्रोतों का उपयोग करके मूल डेटा निर्माता बन गए।
प्रो. त्रिपाठी ने यह भी घोषणा की कि डेटासेट अब 'जस्टिस हब' (यहां उपलब्ध) प्लेटफॉर्म पर खुले तौर पर और स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है।