CJI गोगोई ने नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अतंरिम निदेशक बनाए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने खुद को अलग कर लिया है।
सोमवार को इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बहस करनी चाही तो चीफ जस्टिस ने कहा कि वो 24 जनवरी को नए सीबीआई निदेशक के चयन के लिए प्रधानमंत्री व लोकसभा में नेता विपक्ष के साथ होने वाली मीटिंग में जाने वाले हैं। इसलिए इस मामले की सुनवाई वे नहीं कर सकते, लिहाजा इस मामले की सुनवाई गुरुवार को कोर्ट नंबर दो में होगी।
यानी अब जस्टिस ए. के. सीकरी की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
इससे पहले चीफ जस्टिस ने कहा था कि अगले हफ्ते इस याचिका पर सुनवाई होगी।
दरअसल गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले की सुनवाई जल्द करने का अनुरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कॉमन कॉज ने कहा है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति मनमानी और गैरकानूनी है और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत सीबीआई में अंतरिम निदेशक के पद की कोई व्यवस्था नहीं है।
याचिका के अनुसार, नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को रद्द कर दिया था। लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुए पुन: यह नियुक्ति कर दी है।
इस याचिका में, लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किए गए संशोधन में तय प्रक्रिया के अनुसार केंद्र को सीबीआई का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
वहीं याचिका में कहा गया है कि सीबीआई निदेशक के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। निदेशक पद के लिए चुने गए उम्मीदवारों की सूची वेबसाइट पर जारी होनी चाहिए और प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की हाई पावर कमेटी की बैठक का ब्यौरा सार्वजनिक होना चाहिए।
गौरतलब है कि 10 जनवरी को आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद, केंद्र सरकार ने नए निदेशक की नियुक्ति होने तक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है।