चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के 'सभी के लिए न्याय' वॉकथॉन कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाई

Update: 2025-11-10 03:53 GMT

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने रविवार को "सभी के लिए न्याय" दौड़/वॉकथॉन और वृक्षारोपण अभियान का उद्घाटन किया। यह ऐसा कार्यक्रम था, जिसने जजों, वकीलों और नागरिकों को एक अधिक सुलभ और टिकाऊ न्याय प्रणाली के सामूहिक आह्वान के लिए एक साथ लाया।

8 किलोमीटर की दौड़/वॉक कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट परिसर से शुरू हुआ और इंडिया गेट पर समाप्त हुआ। इसका उद्घाटन और शुभारंभ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट के जजों, विभिन्न हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों तथा बार के सदस्यों की उपस्थिति में किया।

चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, SCBA अध्यक्ष विकास सिंह

"सभी के लिए न्याय" अभियान के माध्यम से SCBA ने देश भर में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और न्याय वितरण प्रणाली में जनता का विश्वास बहाल करने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।

एसोसिएशन के बयान में कहा गया कि करोड़ों मामले लंबित होने के बावजूद, इस आंदोलन का लक्ष्य केवल त्वरित निपटारा नहीं, बल्कि "सभी पक्षों के लिए समय पर, सार्थक और निष्पक्ष न्याय" प्रदान करना है। इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि देरी न केवल व्यवस्था पर बोझ डालती है, बल्कि जनता का विश्वास भी कम करती है, क्योंकि दशकों बाद सुनाए गए फैसले अक्सर मामले का निपटारा नहीं कर पाते।

कार्यक्रम में पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित उपस्थित थे।

SCBA ने इस मंच का उपयोग वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) तंत्रों, विशेष रूप से मध्यस्थता और पंचनिर्णय की बढ़ती भूमिका को वास्तविक न्याय प्रदान करने के लिए आवश्यक उपकरणों के रूप में उजागर करने के लिए भी किया। इसने कहा कि ये तरीके समझौता, संवाद और आपसी सम्मान की राष्ट्रीय संस्कृति को बढ़ावा देते हुए "तेज़, अधिक सौहार्दपूर्ण और स्थायी समाधान" प्रदान करते हैं।

'भले ही सभी मामलों का फैसला हो जाए, यह सभी के लिए न्याय नहीं होगा': SCBA अध्यक्ष विकास सिंह

इस अवसर पर बोलते हुए SCBA अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि न्याय का सही अर्थ अदालती फैसले से कहीं आगे तक फैला हुआ है।

उन्होंने कहा,

"अगर सभी मामलों का फैसला भी हो जाए तो भी सभी को न्याय नहीं मिलेगा। जीतने वाले पक्ष को लगेगा कि उसे न्याय मिला है, लेकिन हारने वाले पक्ष को नहीं। सच्चा न्याय केवल मध्यस्थता से ही प्राप्त हो सकता है, जहां दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है और समाधान संघर्ष के बजाय आम सहमति पर आधारित होता है।"

उन्होंने आगे कहा कि मुकदमेबाजी में "देने और लेने की भावना" विकसित करने का समय आ गया है। हालांकि, जज इस सांस्कृतिक बदलाव को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

सिंह ने कहा, "मध्यस्थता को बढ़ावा देकर, न्यायपालिका न्याय प्रदान करने की प्रणाली को एक ऐसी प्रणाली में बदल सकती है, जो विभाजन करने के बजाय उसे ठीक करे।" उन्होंने भारत में न्याय की धारणा और व्यवहार पर व्यापक पुनर्विचार का आह्वान किया।

दौड़ और वॉकथॉन के बाद सुप्रीम कोर्ट के लॉन और आसपास के इलाकों में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया।

इस कार्यक्रम में 2,000 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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