CIC और सूचना आयुक्त की नियुक्ति : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, आखिर क्यों हो रही है नौकरशाहों की ही नियुक्ति ?
केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पदों की रिक्तियों के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर सूचना आयुक्त के पदों पर सिर्फ वर्तमान और सेवानिवृत नौकरशाह ही क्यों रखे जा रहे हैं?
जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने मंगलवार को कहा कि आखिरकार सर्च कमेटी, नियुक्ति हेतु सिर्फ नौकरशाह ही क्यों चुनती है? इसके साथ ही पीठ ने ये भी पूछा कि 14 शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की अंतिम सूची में नौकरशाहों के अलावा कोई और भी था?
वहीं केंद्र की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद ने कहा कि केंद्र ने सूचना आयुक्तों और CIC की नियुक्तियों की प्रक्रिया में नियमों का पालन किया है। CIC और 4 सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हो चुकी है। सर्च कमेटी ने चयन समिति को बहुत सारे नाम भेजे हैं।उन्होंने किसी को भी नहीं छोड़ा। 14 उम्मीदवारों में एक रिटायर्ड जज हैं, जबकि शेष नौकरशाह हैं। पीठ ने कहा कि कुछ हद तक हमें याचिकाकर्ता से सहमत होना होगा कि सरकार नौकरशाह की नियुक्ति ही कर रही है।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2008 के केसों की सुनवाई हो रही है। पश्चिम बंगाल की ओर से बताया गया कि राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त समेत 4 सूचना आयुक्तों को नियुक्त किया गया है। राज्य 6 महीने के बाद स्थिति की समीक्षा करेगा।
वहीं पीठ ने 7 राज्यों को निर्देश दिया कि वो जल्द से जल्द स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दाखिल करे। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
इससे पहले 13 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इन नियुक्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शी तरीका अपनाया जाना चाहिए। जस्टिस ए. के. सीकरी की पीठ ने कहा कि आखिरकार ये सब पारदर्शिता के लिए ही किया जा रहा है। सरकार को चयनित उम्मीदवारों की सूची वेबसाइट पर डालनी चाहिए। साथ ही केंद्र सुनिश्चित करे कि कानून के तहत नियम और शर्तें पूरी की गई हैं। पीठ ने कहा इनका विज्ञापन भी जारी किया जाना चाहिए।
इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि CIC के लिए चयन समिति ने उम्मीदवार का चयन कर लिया है। इसके लिए कुल 64 आवेदन प्राप्त हुए थे। हालांकि सूचना आयुक्तों का चयन अभी नहीं हुआ है। इन पदों के लिए 280 आवेदन प्राप्त हुए हैं और नियुक्ति के लिए नामों को शार्टलिस्ट किया जा रहा है।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर भी सवाल उठाए थे। पीठ ने पूछा था कि कितने आरटीआई आवेदन दायर किए गए और कितने लंबित हैं। कितने समय से ये लंबित हैं, इसको लेकर 3 हफ्तों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए।
दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने बताया था कि राज्य में आरटीआई कम दाखिल हो रही हैं। इस वक्त राज्य में 1 SIC और 2 सूचना आयुक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या इतना डर है कि आवेदनों की संख्या में कमी आ गई?
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से 1 सप्ताह के भीतर सूचना आयोगों में रिक्तियों का विवरण दाखिल करने को कहा था।