फर्म के पार्टनर के खिलाफ चेक केस को केवल इस पुख्ता सबूत के आधार पर रद्द किया जा सकता है कि उसे चेक जारी करने से कोई सरोकार नहीं था: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फर्म के किसी भागीदार के खिलाफ चेक मामले को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत तब तक रद्द नहीं किया जा सकता जब तक कि इस बात का निर्विवाद सबूत न हो कि उसका चेक जारी करने से कोई सरोकार नहीं था।
हाईकोर्ट ने उन सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए फर्म के एक भागीदार के खिलाफ समन आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें संकेत दिया गया था कि जिन तारीखों पर फर्म द्वारा लिए गए परिसर के किराए के भुगतान के दायित्व के निर्वहन के लिए चेक जारी किए गए थे, वह फर्म से पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके थे और उस संबंध में एक सेवानिवृत्ति विलेख निष्पादित किया गया था।
इस दृष्टिकोण से असहमति जताते हुए, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस राजेश बिंदल की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि समन आदेश को रद्द करने के लिए साझेदार द्वारा सेवानिवृत्ति विलेख प्रस्तुत करने की मांग की गई थी और शिकायतों को उसकी फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता था, और इसे शिकायतों को रद्द करने के लिए निर्णायक सबूत के रूप में माना जा सकता था।
कोर्ट ने कहा, यह उनके द्वारा स्थापित मामला नहीं है कि पार्टनरशिप डीड में यह उल्लेख किया गया है कि वह फर्म में स्लीपिंग पार्टनर थे।
कोर्ट ने कहा,
"यह अच्छी तरह से तय है कि ट्रायल कोर्ट का अंतिम फैसला उसके सामने पेश किए गए सबूतों पर निर्भर करेगा। चूंकि शिकायत में प्रतिवादी नंबर एक के खिलाफ विशिष्ट आरोप हैं और जब किरायानामा निष्पादित किया गया था, उस समय वह साझेदारी फर्म में भागीदार था। वह अभियोजन का सामना करने के लिए उत्तरदायी है। संहिता की धारा 482 के तहत शक्तियों का उपयोग हाईकोर्ट द्वारा उस स्थिति में किया जा सकता है, जब यह इंगित करने के लिए निर्विवाद सबूत मिलते हैं कि फर्म के भागीदार को चेक जारी करने से कोई सरोकार नहीं था। मौजूदा मामला उस तरह का नहीं है।"
उक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया।
केस टाइटलः रिया बावरी बनाम मार्क अलेक्जेंडर डेविडसन - 2023 लाइव लॉ (एससी) 695 - 2023 आईएनएससी 757