केंद्र ने लोकसभा में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बदलाव करने के लिए विधेयक पेश किया
केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन करने और बदलने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निम्नलिखित विधेयक पेश किए-
- भारतीय न्याय संहिता, 2023 (अपराधों से संबंधित प्रावधानों को समेकित और संशोधित करने के लिए और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों के लिए)
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (दंड प्रक्रिया से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए)
- भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 (निष्पक्ष सुनवाई के लिए साक्ष्य के सामान्य नियमों और सिद्धांतों को समेकित करने और प्रदान करने के लिए)।
इन विधेयकों को कार्य की अनुपूरक सूची में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया। तीन विधेयक पेश किए जाने के बाद उन्हें गृह मामलों की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया।
गौरतलब है कि मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को संशोधित करने के लिए सुझाव देने के लिए आपराधिक कानून सुधार समिति का गठन किया।
समिति की अध्यक्षता नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी प्रोफेसर डॉ रणबीर सिंह ने की। इसमें एनएलयू-डी के तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. जीएस बाजपेयी, डीएनएलयू के वीसी प्रोफेसर डॉ. बलराज चौहान, सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी और दिल्ली के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी थरेजा शामिल हैं।
फरवरी 2022 में कमेटी ने जनता से सुझाव लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी। अप्रैल 2022 में कानून मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि सरकार ने आपराधिक कानूनों की व्यापक समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की।
पिछले साल गृह मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम के लिए नए ड्राफ्ट पेश करेगी।