Cash Row | जस्टिस यशवंत के खिलाफ एकजुट हुईं विभिन्न हाईकोर्ट्स की बार एसोसिएशन, सीजेआई से आपराधिक जांच शुरू करने का किया आग्रह

Update: 2025-03-27 10:46 GMT
Cash Row | जस्टिस यशवंत के खिलाफ एकजुट हुईं विभिन्न हाईकोर्ट्स की बार एसोसिएशन, सीजेआई से आपराधिक जांच शुरू करने का किया आग्रह

जस्टिस यशवंत वर्मा के नकदी विवाद से संबंधित घटनाक्रम में विभिन्न हाईकोर्ट्स के कई बार एसोसिएशनों ने संयुक्त बयान जारी कर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना से जस्टिस वर्मा के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने और जज को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश वापस लेने का अनुरोध किया।

आधिकारिक संयुक्त बयान में निम्नलिखित अनुरोध किया गया:

"बार एसोसिएशन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा पारदर्शिता अपनाने और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट और अन्य सामग्रियों को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना करते हैं।"

"बार एसोसिएशन चीफ जस्टिस और कॉलेजियम से जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को वापस लेने और न्यायिक कार्य के अलावा सभी प्रशासनिक कार्य वापस लेने का अनुरोध करते हैं, जो पहले ही वापस ले लिया गया। आपराधिक कानून को लागू करने का अनुरोध करते हैं, जैसा कि किसी भी सरकारी कर्मचारी पर लागू होता है।"

दिल्ली, इलाहाबाद, केरल, कर्नाटक, गुजरात के हाईकोर्ट्स के बार एसोसिएशनों के अध्यक्षों द्वारा जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ऐसा अनुरोध इस बात को ध्यान में रखते हुए किया गया कि "दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट के अनुसार, किसी ने 15.3.2025 को परिसर से सामान हटा दिया और यदि आपराधिक कानून को आगे बढ़ाया गया होता तो सबूत नष्ट नहीं होते। इस तरह के अपराधों में अन्य लोगों की संलिप्तता होगी और पंजीकरण न होने से उनके अभियोजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।"

जारी बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि बार एसोसिएशनों के अध्यक्ष "जस्टिस यशवंत वर्मा के स्थानांतरण आदेश को वापस न लेने की स्थिति में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इलाहाबाद में मिलेंगे।"

इसमें स्पष्ट किया गया कि यह कदम "उच्च न्यायपालिका के जजों के लिए जवाबदेही के मानक निर्धारित करने तथा 1999 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत वर्तमान इन-हाउस प्रक्रिया तथा 1997 में स्वीकृत न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्कथन तथा 2002 के बैंगलोर सिद्धांतों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए उठाया जा रहा है।"

उल्लेखनीय है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने तथा इन-हाउस जांच के लिए सीजेआई द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति को चुनौती देने के लिए जनहित याचिका भी दायर की गई। जस्टिस वर्मा 21 मार्च को उस समय विवाद का केंद्र बन गए, जब उनके आधिकारिक बंगले के बाहरी हिस्से में स्टोररूम में आग लगने के कारण नकदी की बोरियां मिलने की खबरें प्रकाशित हुईं।

22 मार्च को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इन-हाउस प्रक्रिया के तहत मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। यह निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय द्वारा दी गई रिपोर्ट के बाद लिया गया, जिसमें कहा गया कि मामले की गहन जांच की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का जवाब और दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा शेयर की गई तस्वीरें और वीडियो भी प्रकाशित किए।

आग की घटना 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवासीय कार्यालय में हुई, जब वे शहर से बाहर थे।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस उपाध्याय को 15 मार्च को शाम करीब 4:50 बजे दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने जस्टिस वर्मा के बंगले में 14 मार्च को रात 11.30 बजे लगी आग के बारे में जानकारी दी।

जस्टिस वर्मा ने नकदी रखने की बात से इनकार किया और दावा किया कि यह उनके खिलाफ साजिश है।

24 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया। उसी दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश से व्यथित होकर 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की।

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