'वकीलों को वित्तीय सहायता देने के लिए सरकार को निर्देश नहीं दे सकते', कर्नाटक हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को वरिष्ठ अधिवक्ताओं से डोनेशन लेने की सलाह दी

Update: 2020-05-10 08:15 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि वह केंद्र और राज्य सरकार को ,कर्नाटक राज्य बार काउंसिल (केएसबीसी) के साथ नामांकित उन अधिवक्ताओं को वित्तिय सहायता देने के लिए धनराशि जारी करने का निर्देश देने में असमर्थ है,जो लाॅकडाउन के दौरान अदालतों में कामकाज बंद होने के चलते अपनी आय से वंचित हो गए हैं।

न्यायालय ने कहा कि राहत के लिए धन का उपयोग करना कार्यपालिका का नीतिगत मामला है।

वहीं हाईकोर्ट ने यह सुझाव दिया है कि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद अधिवक्ताओं की सहायता के लिए केएसबीसी को वरिष्ठ अधिवक्ताओं से डोनेशन देने की अपील करनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति बी. वी.नागरथना की खंडपीठ ने कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता एच. सी शिवारामू और अधिवक्ता अनंथाराजु बी.जी और चालुवाराजु बी.सी की तरफ दायर याचिकाओं का निपटारा कर दिया है।

पीठ ने कहा कि

''यह सच है कि COVID-19 के परिणामस्वरूप न्यायालयों को बंद कर दिया गया है,जिस कारण काफी सारे अधिवक्ता प्रभावित हो गए हैं। यह भी एक स्वीकृत स्थिति है कि इस समय राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार भी नकदी के गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। दोनों सरकारों को समाज के हाशिए या निचले तबके से निपटने की आवश्यकता है,जहां काफी संख्या में लोग रहते हैं और COVID-19 के परिणामस्वरूप वह सभी अपनी दैनिक खाद्य आवश्यकताओं से भी वंचित हो गए हैं। अंततः यह राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार का भी नीतिगत मामला है कि दोनों सरकार उनके पास उपलब्ध सीमित संसाधनों के उपयोग के संबंध में निर्णय लेें। उपलब्ध संसाधनों के उपयोग की प्राथमिकता तय करना भी नीति का विषय है। यही कारण है कि हम केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों को राशि जारी करने के लिए परामदेश देने में असमर्थ हैं।''

एच.सी.शिवारामू द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि हालांकि, अधिवक्ताओं को समाज में एक ''विशिष्ट वर्ग'' माना जाता है, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो दैनिक आय पर निर्भर हैं। लेकिन वे वर्तमान में अदालतें बंद होने के कारण अपनी दैनिक आय से वंचित हो गए हैं। याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के एडवोकेट्स वेलफेयर फंड और केएसबीसी के एडवोकेट्स वेलफेयर फंड से प्रत्येक जरूरतमंद अधिवक्ता को पचास-पचास हजार रुपए की एकमुश्त राशि की मदद दिलाने की भी मांग की गई थी।

यह भी दलील दी गई थी कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली बार काउंसिल को 50 करोड़ रुपये दिए हैं ताकि जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता प्रदान की जा सकें। इसी प्रकार केंद्र सरकार व कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह दोनों 50-50 करोड़ रुपये का फंड कर्नाटक राज्य बार काउंसिल वेलफेयर को जारी करें।

केएसबीसी के लिए उपस्थित वरिष्ठ वकील ने बताया कि वह अपनी स्वयं की निधियों से 45,00,000 की राशि के साथ-साथ दो करोड़ रुपये की राशि का उपयोग कर रहे हैं। इस राशि में से उन अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी,जिन्होंने कानूनी पेशे में अभी दस वर्ष की अवधि पूरी नहीं की है और उनके द्वारा तय किए पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं। केएसबीसी को बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन पर कार्रवाई की जा रही है। यह भी बताया कि महिला अधिवक्ताओं के मामले में, केएसबीसी दस साल तक प्रैक्टिस नहीं करने की शर्त पर छूट देने पर विचार कर रही है।

पीठ ने कहा कि

''अनिवार्य रूप से, अधिवक्ताओं को केवल कर्नाटक राज्य अधिवक्ता कल्याण कोष अधिनियम की धारा 16 के तहत प्रदान किए गए नियमों के तहत ही राहत दी जा सकती है। इसलिए, अगर COVID-19 के प्रसार के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति से निपटने के लिए कर्नाटक राज्य अधिवक्ता कल्याण कोष के सदस्यों को सहायता प्रदान की जानी है तो राज्य सरकार को उक्त अधिनियम में संशोधन करना होगा। याचिकाकर्ता कभी भी इस मामले में प्रतिनिधित्व या ज्ञापन दे सकते हैं।''

हालांकि, अधिवक्ताओं के सभी वर्ग की सहायता के लिए अदालत ने सुझाव दिया है कि केएसबीसी को वरिष्ठ अधिवक्ताओं से दान करने की अपील करनी चाहिए और दान में मिली इस राशि का उपयोग जरूरतमंद अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि

''हमें यकीन है कि यदि केएसबीसी महाधिवक्ता (जो बार के नेता भी हैं)से अनुरोध करेगी कि वह डोनेशन या दान इकट्ठा करने में केएसबीसी की सहायता करने के लिए बार के वरिष्ठ अधिवक्तों की एक बैठक बुलाएं तो महाधिवक्ता फंड एकत्रित करने में केएसबीसी की सहायता जरूर करेंगे। ताकि बार के सभी जरूरतमंद सदस्यों तक मदद पहुंच सके।''

पीठ ने यह भी कहा कि

''हमें यकीन है कि राज्य में बार की समृद्ध परंपराओं को देखते हुए, यदि केएसबीसी बार के सदस्यों से अपील करती है तो इस पर उनको सहज या स्वतःप्रतिक्रिया प्राप्त होंगी। वहीं डोनेशन के माध्यम से एक बड़ी राशि एकत्रित की जा सकती हैं। जो अंततः उन अधिक्ताओं तक पहुंच पाएगी जिनको वर्तमान संकट में वित्तीय सहायता की बहुत आवश्यकता है।'' 


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