क्या एक ही भाषण पर कई FIR हो सकती हैं? सुप्रीम कोर्ट ने शरजील इमाम की याचिका पर पूछा
पूर्व जेएनयू स्टूडेंट शरजील इमाम द्वारा अपने खिलाफ कई FIR को एक साथ करने की याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर विचार किया कि क्या ऑनलाइन प्रकाशित एक ही भाषण से कई मामले हो सकते हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच शरजील इमाम की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने कथित राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज FIR को एक साथ करने की मांग की थी। ये FIR यूपी, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में दर्ज हैं।
सुनवाई के दौरान, सीजेआई ने पूछा कि चूंकि FIR एक ही भाषण पर हो रही हैं तो क्या यह दोहरा खतरा नहीं होगा यदि इमाम को कई राज्यों में चल रहे मुकदमों में दोषी ठहराया जाता है।
हालांकि, दिल्ली राज्य की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने तर्क दिया कि गठित अपराध अलग-अलग हैं।
उन्होंने कहा,
"बिहार में भीड़ को उकसाना, यूपी में भीड़ को उकसाना, दिल्ली में भीड़ को उकसाना- ये अलग-अलग अपराध हैं।"
सीजेआई ने कहा,
"भाषण एक है, यह अलग नहीं है, इसलिए एक ही अपराध होगा।"
एएसजी ने आगे जोर दिया कि चूंकि विभिन्न राज्यों में विभिन्न समुदाय प्रभावित हुए हैं, इसलिए इसमें कई अपराध शामिल होंगे।
उन्होंने समझाया:
"लेकिन अगर अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग उकसाया जाता है.... तो राज्य के खिलाफ अपराध एक हो सकता है, लेकिन समाज के खिलाफ अपराध अलग-अलग होंगे।"
इस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि अगर FIR कई भाषणों से उत्पन्न हो रही हैं, तो ऐसा तर्क सही होगा, जो वर्तमान मामले में नहीं है।
उन्होंने कहा:
"अगर कोई अलग भाषण था तो आप सही हो सकते हैं, यहां भाषण एक ही है।"
एएसजी ने यह भी स्पष्ट किया कि दोहरे खतरे का सवाल केवल बाद के चरण में ही उठेगा, जब मुकदमों में दोषसिद्धि होगी।
इसके बाद चीफ जस्टिस ने सुझाव दिया कि दिल्ली कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक अन्य राज्यों में सुनवाई रोकी जा सकती है।
उन्होंने कहा,
"मिस्टर राजू, यदि आप अनुमति दें तो हम दिल्ली की सुनवाई पूरी होने तक अन्य राज्यों में सुनवाई रोक सकते हैं।"
एएसजी ने जवाब दिया कि वे अन्य राज्यों की ओर से पेश नहीं हो रहे हैं।
इमाम की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता को दिल्ली कोर्ट में सुनवाई का सामना करने के बावजूद उन अदालतों से समन मिल रहे हैं। उन्होंने सभी लंबित मुकदमों को दिल्ली स्थानांतरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
एएसजी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अलग-अलग स्थानों पर दो अलग-अलग भाषण दिए हैं।
दवे ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता के लिए एक ही भाषण से उत्पन्न मुकदमे के लिए विभिन्न राज्यों में पेश होना अव्यावहारिक होगा।
उन्होंने कहा,
"अब वे मुझे असम, यूपी, मणिपुर आने के लिए कह रहे हैं- अब मुझे मेरे एक भाषण के लिए पूरे देश में घसीटा नहीं जा सकता।"
दवे ने आगे पूछा,
"कल्पना कीजिए माई लॉर्ड, एक भाषण- पूरे भारत में 500 अभियोग हो सकते हैं तो आप पर 500 बार अभियोग चलाया जाएगा और 500 बार हिरासत में लिया जाएगा? और ये सभी अलग-अलग अपराध होंगे?"
एएसजी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा,
"देखिए उन्होंने किस तरह के भाषण दिए हैं, वे कहते हैं कि असम को भारत से अलग करो!"
दवे ने जवाब दिया कि जो भी मामला हो, कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा,
"मैंने भले ही सबसे खराब भाषण दिया हो, लेकिन मुझे कानून के शासन को लागू करने का अधिकार है, जिसे मिस्टर राजू नहीं छीन सकते।"
सीजेआई ने इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या यह घटना कई अपराधों के बराबर है, उन्होंने समझाया कि चूंकि इमाम का भाषण रिकॉर्ड किया गया और यूट्यूब पर उपलब्ध था। इसलिए इसे पूरे भारत के लोग सुन सकते थे, लेकिन तथ्य यह है कि दर्ज की गई FIR इस एक भाषण से हैं, हालांकि इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है।
उन्होंने कहा,
"भाषण रिकॉर्ड किया गया, इसलिए इसे पूरे भारत में सुना जा सकता है, लेकिन अपराध एक है, इसका प्रभाव अन्य होगा....अन्यथा यह मुश्किल होगा"
ASG ने जवाब दिया कि अगली सुनवाई में, वह विभिन्न मिसालें पेश करेंगे जो दर्शाती हैं कि वर्तमान मामले में कई अपराध बनते हैं।
खंडपीठ ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए दो सप्ताह बाद मामले को फिर से सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
अगस्त, 2024 में न्यायालय ने चार राज्य सरकारों से जवाब मांगा कि क्या उन्हें दिल्ली न्यायालय में मुकदमे को स्थानांतरित करने पर कोई आपत्ति है और यदि कोई अन्यत्र दायर आरोपपत्र हैं तो उन्हें दिल्ली में मामले के मद्देनजर न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए। न्यायालय को यह भी बताया गया कि असम और मणिपुर में FIR से संबंधित जांच पूरी हो चुकी है और इमाम को असम मामले में डिफ़ॉल्ट जमानत मिलनी है।
इमाम ने मुख्य रूप से मांग की है कि विभिन्न FIR को एक साथ मिलाकर मुकदमे के लिए दिल्ली कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। 28 जनवरी, 2020 को दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दिए गए उनके भाषणों के संबंध में UAPA के तहत उन्हें गिरफ्तार किया और तब से वे हिरासत में हैं।
केस टाइटल: शरजील इमाम बनाम दिल्ली सरकार और अन्य। डायरी संख्या 4730-2020