क्या सरफेसी अधिनियम की धारा 14 के तहत पारित जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत रद्द कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

Update: 2022-11-28 10:06 GMT

सुप्रीम कोर्ट

क्या सरफेसी अधिनियम की धारा 14 के तहत पारित जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत रद्द कर सकता है? इस मुद्दे को उठाते हुए एक विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया है।

इस मामले में, मद्रास हाईकोर्ट ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, एग्मोर, चेन्नई द्वारा सरफेसी अधिनियम की धारा 14 (सुरक्षित संपत्ति का कब्जा लेने में सुरक्षित लेनदार की सहायता करने के लिए) के तहत पारित आदेश को चुनौती देते हुए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर एक याचिका की अनुमति दी।

अदालत ने याचिकाकर्ता के इस तर्क से सहमति व्यक्त की कि यह आदेश मजिस्ट्रेट द्वारा याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया गया कि सरफेसी अधिनियम के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ, सीआरपीसी की धारा 482 के तहत कार्यवाही बिल्कुल भी चलने योग्य नहीं है।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने इस सबमिशन पर ध्यान दिया और मामले में नोटिस जारी किया।

विवाद

इस मुद्दे पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा परस्पर विरोधी विचार व्यक्त किए गए हैं। उदाहरण के लिए, वर्ष 2020 में पारित एक आदेश में, उच्च न्यायालय की एक अन्य एकल पीठ ने कहा था कि मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सरफेसी अधिनियम के तहत एक व्यक्तित्व है और उसके आदेशों को धारा 482 सीआरपीसी के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती है।

हाल ही में, एक अन्य एकल न्यायाधीश ने पाया कि सरफेसी अधिनियम की धारा 14 के तहत दिए गए आदेश को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।

केस

फीनिक्स आर्क प्राइवेट लिमिटेड बनाम वी. गणेश मूर्ति | एसएलपी (डायरी) 32916/2022

वकील:एडवोकेट विकास कुमार, एओआर हिमांशु मेंघानी, अभिभाषक

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