बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करते हुए भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख करते हुए पश्चिम बंगाल में 2 मई को चुनाव परिणामों के बाद हुई हिंसा की जांच द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा करवाने की मांग की है।
''पश्चिम बंगाल राज्य में टीएमसी के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा, हत्या और बलात्कार के मामलों'' की जांच करवाने के अलावा आवेदन में यह भी मांग की गई है कि राज्य को निर्देश दिया जाए कि वह ''तात्कालिक आवेदन में उल्लिखित अपराधों के अपराधियों के खिलाफ पंजीकृत एफआईआर, उनकी गिरफ्तारी और इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दायर करें।''
पश्चिम बंगाल राज्य में भाजपा कार्यकर्ता दुलाल कुमार की कथित हत्या की सीबीआई जांच की मांग करते हुए भाटिया ने वर्ष 2018 में एक जनहित याचिका दायर की थी। उसी मामले में यह आवेदन दायर किया गया है। यह बताया गया था कि राज्य में पंचायत के चुनावों के बाद कुमार का शव 2 जून, 2018 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बलरामपुर में एक बिजली के खंभे से लटका मिला था।
भाटिया ने दो अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं शक्तिपद सरकार और त्रिलोचन महतो की मौत की जांच की भी मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और महतो की मौत के मामले में राज्य द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट होकर सिर्फ उन मामलों के संबंध में जनहित याचिका की कार्यवाही समाप्त करने का निर्णय लिया था।
निर्देश दिए जाने की मांग करते हुए दायर वर्तमान आवेदन के जरिए शीर्ष कोर्ट के संज्ञान में ''राज्य में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव से पहले,चुनाव के दौरान और चुनाव होने के बाद हुई क्रूर हत्या,बलात्कार, छेड़छाड़, गंभीर हिंसा और पश्चिम बंगाल राज्य में कानून व्यवस्था की पूरी तरह से विफल रहने की घटनाओं'' को लाया गया है।
आवेदन में दावा किया गया है कि वर्तमान घटनाओं का राज्य में प्रचलित हिंसा से संबंधित रिट याचिका में उठाए गए मुद्दों से सीधा संबंध है।
आवेदन में कहा गया है कि,''मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह हिंसा राज्य के उन नागरिकों के खिलाफ बदला लेने के लिए की गई हैं,जिन्होंने टीएमसी के अलावा किसी अन्य पार्टी के लिए मतदान करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया था। उन अपराधियों पर केस दर्ज किया जाना चाहिए और कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए,जिनको सत्तारूढ़ पक्ष द्वारा संरक्षण प्राप्त है।''
कोलकाता के बेलागाथा के नागरिक अविजित सरकार की कथित हत्या का हवाला देते हुए, आवेदन में कहा गया है कि ''टीएमसी के संरक्षण के तहत पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का महान नृत्य'' चल रहा है। बताया गया कि सरकार ने अपनी मृत्यु से पहले फेसबुक पर एक वीडियों अपलोड किया था और बताया था कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने न केवल उनके घर और एनजीओ में तोड़फोड़ की है, बल्कि उनके पिल्लों को भी मार डाला है और इस तरह उसने अपनी मौत के लिए टीएमसी नेताओं को दोषी ठहराया था।
कहा गया कि यह घटनाएं दर्शाती हैं कि कैसे टीएमसी बिना किसी रोक-टोक के अपने मामलों का संचालन कर रही है। आवेदन में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि टीएमसी पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ उनके कथित कृत्यों के मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं का अनुचित प्रभाव भी ड़ाल रही है। इस तरह से ललिता कुमार बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है।
''टीएमसी अपने राजनीतिक विरोधियों को, विशेष रूप से बीजेपी और उसके सदस्यों और कार्यकर्ताओं को फासिस्ट व कट्टरवादी लोगों के रूप में लक्षित करते हुए अमानवीय ठहरा रही है।''
उपरोक्त के आलोक में, आवेदन में मांग की गई है कि इससे पहले कि ''पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति अराजकता की तरफ बढ़ जाए'' अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। वहीं वर्तमान हिंसा की जांच सीबीआई से करवाने और राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट दायर करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।