कक्षा 5 और 8 के लिए बोर्ड एग्जाम: कर्नाटक अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली

Update: 2023-03-31 05:04 GMT

कर्नाटक अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली है, जिसने कक्षा 5 और 8 के लिए बोर्ड एग्जाम आयोजित करने के राज्य सरकार के कदम को रोकने के लिए एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी थी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के समक्ष गुण-दोष के आधार पर बहस करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका वापस लेने के रूप में खारिज कर दी।

कर्नाटक हाईकोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा 15 मार्च को पारित आदेश के खिलाफ गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के संघों द्वारा याचिका दायर की गई, जिसमें एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगाकर बोर्ड एग्जाम आयोजित करने की अनुमति दी गई थी, जिसने राज्य सरकार के सर्कुलरों को रद्द कर दिया था। बोर्ड का कक्षा 5 और कक्षा 8 का एग्जाम है।

20 मार्च को जब याचिकाकर्ताओं के वकील ने तत्काल लिस्टिंग के लिए मैट का उल्लेख किया, तो सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने अनिच्छा व्यक्त की थी।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा था,

"चलो इसमें हस्तक्षेप न करें ... हाईकोर्ट जानते हैं कि उस राज्य के लिए सबसे अच्छा क्या है।"

हाईकोर्ट के समक्ष गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों के लिए संगठन, रजिस्टर्ड गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रबंधन संघ कर्नाटक और कर्नाटक गैर सहायता प्राप्त स्कूल प्रबंधन संघ ने 12 दिसंबर, 2022, 13 दिसंबर, 2022 और 4 जनवरी, 2023 के सरकारी सर्कुलर पर सवाल उठाया। इसमें कहा गया कि बदलते हुए स्कूल स्तर के मूल्यांकन के बजाय राज्य स्तरीय 'बोर्ड एग्जाम' आयोजित करने से मूल्यांकन पद्धति छात्रों और शिक्षकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।

आगे यह तर्क दिया गया कि सर्कुलर जारी करने से पहले हितधारकों, माता-पिता, बच्चों या स्कूलों के साथ कोई चर्चा नहीं की गई।

हालांकि, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि कोई बोर्ड एग्जाम नहीं है। बच्चों के मूल्यांकन की प्रक्रिया में केवल मामूली बदलाव है और छात्रों को दिए जा रहे कुल 100 अंकों में से 80 प्रतिशत संबंधित स्कूलों द्वारा शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से किए गए निरंतर आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित है। अंतिम मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए केवल शेष 20 प्रतिशत अंकों के लिए ही राज्य स्तर पर प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं और पेपर का मूल्यांकन तालुक और ब्लॉक स्तर पर किया जाता है।

जस्टिस प्रदीप सिंह येरुर की एकल न्यायाधीश की पीठ ने 10 मार्च को सरकारी सर्कुलर को इस आधार पर रद्द कर दिया कि वे बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रक्रिया के उल्लंघन में जारी किए गए। पीठ ने हालांकि स्वतंत्रता प्रदान की कि राज्य नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए अगले शैक्षणिक वर्ष से निर्णय को लागू करेगा।

एकल पीठ के फैसले पर 15 मार्च को खंडपीठ ने इस चेतावनी के साथ रोक लगा दी कि रिजल्ट्स मामले के परिणाम के अधीन होंगे।

इसके अलावा, जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे विषयों से कोई प्रश्न नहीं पूछे गए हैं, जो निर्धारित पाठ्यक्रम से बाहर हैं। साथ ही अपील में अंतिम निर्णय के अधीन रिजल्ट्स स्कूल को सूचित किए जाएंगे और सार्वजनिक रूप से नहीं डाले जाएंगे।

केस टाइटल : कर्नाटक अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन बनाम कर्नाटक राज्य

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