कांग्रेस अध्यक्ष, तमिलनाडु व केरल के मुख्यमंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में CJI बी. आर. गवई पर हमले की कड़ी निंदा की
एक चौंकाने वाली घटना में सुप्रीम कोर्ट के भीतर भारत के CJI बी. आर. गवई पर हमला करने की कोशिश की गई। एक वकील ने कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे तुरंत काबू में कर लिया।
इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया और राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसकी कड़ी निंदा की।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना को “अभूतपूर्व, शर्मनाक और घृणित” करार देते हुए कहा कि यह “हमारी न्यायपालिका और कानून के शासन की गरिमा पर हमला” है।
उन्होंने कहा कि एक ऐसे मुख्य न्यायाधीश को निशाना बनाना, जिन्होंने “मेहनत, ईमानदारी और दृढ़ता” के बल पर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंच बनाई, बेहद चिंताजनक है और यह उन प्रयासों को दर्शाता है जिनका उद्देश्य “संविधान की रक्षा करने वाले व्यक्ति को डराना और अपमानित करना” है।
खड़गे ने आगे कहा कि “यह पागलपन भरा कृत्य दिखाता है कि किस तरह पिछले एक दशक में नफरत, कट्टरता और सांप्रदायिकता ने हमारे समाज को जकड़ लिया है।”
उन्होंने कहा, “हमारी न्यायपालिका की सुरक्षा सर्वोपरि है। न्याय और विवेक का शासन होना चाहिए, डर या धमकी का नहीं।”
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे “हमारे लोकतंत्र के सर्वोच्च न्यायिक पद पर हमला” बताया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने मुख्य न्यायाधीश गवई की शांत और गरिमापूर्ण प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कहा, “माननीय सीजेआई ने जिस संयम और शालीनता से प्रतिक्रिया दी, वह संस्था की मजबूती को दर्शाती है, लेकिन इस घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता।”
उन्होंने कहा कि हमे ऐसा समाज बनाना चाहिए जो “हमारे संस्थानों का सम्मान और संरक्षण करे तथा हमारे आचरण में परिपक्वता प्रदर्शित करे।”
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस घटना को “चिंताजनक” बताया और कहा कि यह “संघ परिवार द्वारा फैलाई गई नफरत” को प्रतिबिंबित करती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस घटना को एक अलग मामला समझना “बढ़ती असहिष्णुता के माहौल को नज़रअंदाज़ करना” होगा।
विजयन ने कहा, “जब साम्प्रदायिक कट्टरता देश के मुख्य न्यायाधीश तक को निशाना बनाने की हिम्मत करती है, तब यह इस विषैली और विभाजनकारी राजनीति के गंभीर खतरे को उजागर करती है, जिसका दृढ़ता से मुकाबला किया जाना चाहिए।”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] ने भी इस घटना की निंदा करते हुए बयान जारी किया:
“भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का पोलित ब्यूरो भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा करता है। यह मांग की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में पंजीकृत उक्त वकील के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए जिसे हिरासत में लिया गया है।
यह अत्यंत चौंकाने वाली और निंदनीय बात है कि खुले न्यायालय में जूता फेंका गया और 'सनातन धर्म' के समर्थन में नारे लगाए गए। भाजपा के कुछ मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और नेताओं द्वारा दिए गए जातिवादी, मनुवादी और सांप्रदायिक बयानों ने ऐसे कृत्यों को प्रोत्साहित किया है। यह घटना हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा समाज में घोला गया मनुवादी और सांप्रदायिक ज़हर का एक और उदाहरण है। यह संघ परिवार की असहिष्णुता और भिन्न विचारों को स्वीकार न करने की प्रवृत्ति को भी उजागर करती है।
सीपीआई(एम) मांग करती है कि केंद्र सरकार सीजेआई गवई को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे और असहिष्णुता फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार की रक्षा भी सुनिश्चित करे।”