सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ पंजीकरण की समयसीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक स्पष्टीकरण याचिका दायर की है। ओवैसी ने सरकारी पोर्टल पर वक्फ की पंजीकरण प्रक्रिया के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।
यह मामला चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष एडवोकेट निज़ाम पशा ने उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, “कानून में छह महीने का समय दिया गया था, जिसमें से पाँच महीने निर्णय आने में बीत गए, अब केवल एक महीना बचा है।”
स्थिति की तात्कालिकता बताते हुए पशा ने उर्दू शायर सीमाब अकबराबादी का शेर उद्धृत किया —
“उम्र दराज़ माँग कर लाए थे चार दिन, दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित थे।
चीफ़ जस्टिस ने कहा, “मामला सूचीबद्ध किया जाएगा, लेकिन सूचीबद्ध करना मंजूरी देना नहीं होता।”
गौरतलब है कि 14 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ धाराओं पर रोक लगाई थी, लेकिन पंजीकरण से जुड़ी धाराओं में हस्तक्षेप नहीं किया गया था।
विस्तार क्यों मांगा गया?
याचिका में कहा गया है कि धारा 3B के तहत, संशोधन लागू होने के छह महीने के भीतर सभी पुराने वक्फों को अपनी संपत्तियों का विवरण सरकारी पोर्टल पर दर्ज करना आवश्यक है।
यह संशोधन 8 अप्रैल 2025 से लागू हुआ, और छह महीने की अवधि 8 अक्टूबर 2025 को समाप्त हो रही है।
चूंकि कानून को चुनौती देने वाली सुनवाई 20 से 22 मई के बीच हुई और फैसला 15 सितंबर को आया, इसलिए निर्धारित छह महीनों में से लगभग पाँच महीने पहले ही बीत चुके हैं।
इससे पुराने वक्फों को अपूरणीय क्षति का खतरा है क्योंकि यदि पंजीकरण नहीं हुआ तो उनकी संपत्तियाँ कब्जे और अतिक्रमण के जोखिम में आ जाएंगी।
इसलिए ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह धारा 3B(1) और 36(10) में दी गई छह महीने की समयसीमा को उचित अवधि तक बढ़ाने का निर्देश दे।