अर्नब गोस्वामी को बुधवार को मुंबई पुलिस के सामने पेश होने के निर्देश, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार किया

Update: 2020-06-09 11:11 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को राहत देने से इनकार कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब गोस्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें नागपुर और मुंबई में उनके और चैनल के खिलाफ दायर दो एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।

याचिका में अर्नब ने पूछताछ के लिए पुलिस के सामने पेश होने से छूट मांगी जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया, लेकिन अदालत ने अर्नब को गिरफ्तारी से सुरक्षा दे दी है।

न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति रियाज चागला की खंडपीठ ने अर्नब द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को अर्नब की याचिका को रद्द करने और उसके खिलाफ सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

फीनिक्स लीगल के अर्नब के वकील माधवी दोशी ने कुछ समय के लिए पासओवर की मांग की क्योंकि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे उस समय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल नहीं हो पाए थे, इसलिए मामले को वापस रखा गया और कुछ घंटों बाद साल्वे मामले में पेश हुए हुए।

महाराष्ट्र में अर्नब के खिलाफ दायर दो एफआईआर साल्वे ने पढ़ी, जिसमें से एक राज्य के ऊर्जा मंत्री और कांग्रेसी नेता नितिन राउत ने नागपुर में पालघर घटना पर अर्नब के कथित भड़काऊ बयानों के लिए दर्ज करवाई थी और दूसरी प्राथमिकी बांद्रा स्टेशन पर भीड़ की घटना के कथित सांप्रदायिकरण पर थी।

एफआईआर पढ़ने के बाद, साल्वे ने कहा कि भारत भर में ऐसी ही एफआईआर दर्ज की गई हैं और 19 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 31 और 33 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही माना है कि एक ही घटना पर कई राज्यों में एफआईआर अस्थिर है।

अर्णब गोस्वामी पर आईपीसी की धारा 153, 153 ए, 153 बी, 295 ए, 298, 500, 504, 505 (2), 506, 120 बी और 117 के तहत मामला दर्ज किया गया है। साल्वे ने धारा 153 बी के माध्यम से प्रतिवाद किया और प्रस्तुत किया कि उपरोक्त धारा के तहत कोई अपराध नहीं किया गया है।

रिपब्लिक टीवी पर अपने शो के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अर्नब पर आपराधिक मानहानि का आरोप लगाने के आरोप के लिए, साल्वे ने कहा कि यह एक पत्रकार द्वारा सोनिया गांधी पर हमला था, जो स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के अंतर्गत आता है।

साल्वे ने कहा कि अर्नब और उनकी पत्नी पर हमला करने वाली कई एफआईआर विभिन्न राज्यों में दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, मुंबई पुलिस पूछताछ की आड़ में उत्पीड़न कर रही है।

दूसरी ओर, महाराष्ट्र राज्य के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल उपस्थित हुए। उन्होंने पुलिस के सामने अर्णब को पेश होने पर जोर दिया। लेकिन साल्वे ने कहा कि उनके मुवक्किल को दूसरी प्राथमिकी के संबंध में पिधौनी पुलिस स्टेशन के सामने पेश होने से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि उक्त पुलिस स्टेशन एक कंटेनमेंट क्षेत्र में है।

इस पर सिब्बल ने जवाब दिया-

"यदि पिधौनी कंटेनमेंट क्षेत्र के अंतर्गत हैं तो आप एनएम जोशी पुलिस स्टेशन आ सकते हैं।"

तब जजों ने साल्वे से पूछा, "मिस्टर गोस्वामी कल क्यों नहीं आ सकते?"

हालांकि, साल्वे ने कल के लिए निर्धारित पूछताछ को स्थगित करने के लिए बहस जारी रखी।

सिब्बल ने विरोध किया,

"वह जांच अधिकारी का सामना करने से क्यों डरते हैं? वह हर दिन अपने स्टूडियो में जाते हैं। क्या वह एक विशेष व्यक्ति हैं जिससे पूछताछ नहीं हो सकती?।"

इस प्रकार, कोर्ट ने अर्नब को कल (बुधवार) एनएम जोशी पुलिस स्टेशन के सामने पेश होने का निर्देश दिया और उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 जून है।

Tags:    

Similar News