यदि प्रश्न में शामिल विवाद मध्यस्थता समझौते से संबंधित नहीं है तो मध्यस्थता संदर्भ को अस्वीकार किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-09-23 06:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11 के तहत मध्यस्थता के संदर्भ के लिए प्रार्थना को अस्वीकार किया जा सकता है, यदि प्रश्नगत विवाद मध्यस्थता समझौते से संबंधित नहीं है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि केवल एक आवेदक द्वारा चुने गए मध्यस्थ के समक्ष उठाए गए कथित विवाद को निस्तारित करने के लिए यांत्रिक रूप से कार्य करने की उम्मीद नहीं है।

पीठ ने डीएलएफ होम डेवलपर्स लिमिटेड द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11(6) सहपठित धारा 11(12) के तहत दायर याचिका पर विचार करते हुए उक्त टिप्पणियां की। याचिका में अपने और अन्य पक्षों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए एकमात्र मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए दायर की गई ‌थी।

विद्या ड्रोलिया और अन्य बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन सहित कई पुराने निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा गया था-

"19. इसे अलग तरह से कहने के लिए, इस कोर्ट या हाईकोर्ट, जैसा भी मामला हो, उससे केवल एक आवेदक द्वारा चुने गए मध्यस्थ के समक्ष उठाए गए एक कथित विवाद को निपटाने के लिए यांत्रिक रूप से कार्य करने की अपेक्षा नहीं की जाती है। इसके विपरीत, न्यायालय अधिनियम की धारा 11(6-ए) के ढांचे के भीतर अपने दिमाग को मूल प्रारंभिक मुद्दों पर लागू करने के लिए बाध्य हैं। इस तरह की समीक्षा, जैसा कि इस कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है, का उद्देश्य मध्यस्थ न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र को हड़पना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मध्यस्थता की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। इसलिए, यहां तक ​​कि जब एक मध्यस्थता समझौता मौजूद है तो यह न्यायालय को संदर्भ के लिए प्रार्थना को अस्वीकार करने से नहीं रोकेगा यदि प्रश्न में विवाद उक्त समझौते से संबंधित नहीं है।"

इस मामले में अदालत ने कहा कि पार्टियों ने न तो इस बात से इनकार किया है कि उनके बीच कोई 'मध्यसथता योग्य विवाद' नहीं है और न ही उन्होंने निर्माण प्रबंधन सेवा समझौतों में मध्यस्थता खंड (ओं) के अस्तित्व को चुनौती दी है। अदालत ने कहा कि इस प्रकार पक्षों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों की प्रकृति को मध्यस्थता की कार्यवाही में तय किया जा सकता है। इसलिए अदालत ने जस्टिस (सेवानिवृत्त) आरवी रवींद्रन, पूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट को पार्टियों के बीच सभी विवादों/मतभेदों को हल करने के लिए एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किया।

सिटेशन: LL 2021 SC 490

केस: डीएलएफ होम डेवलपर्स लिमिटेड बनाम राजापुरा होम्स प्राइवेट लिमिटेड

Arb. Petn. 17 OF 2020 | 22 September 2021

कोरम: सीजेआई एनवी रमाना और जस्टिस सूर्यकांत

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