एंटीलिया बम मामला | सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एंटीलिया के बाहर बम और मनसुख हिरन हत्या मामलों के आरोपी पूर्व 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' प्रदीप शर्मा को जमानत दी।
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने पिछले हफ्ते फैसला सुरक्षित रखने के बाद इस साल जनवरी में उन्हें जमानत देने से इनकार करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद उक्त फैसला सुनाया।
जस्टिस बोपन्ना ने अदालत में कहा,
"हम अपील स्वीकार करते हैं और अपीलकर्ता को जमानत देते हैं।"
मामले की पृष्ठभूमि
25 फरवरी 2021 को अरबपति मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के पास धमकी भरे पत्र के साथ विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो कार मिली। दस दिन बाद 4 मार्च, 2021 को व्यवसायी मनसुख हिरन का शव ठाणे क्रीक से बरामद किया गया। वह स्कॉर्पियो का मालिक था और उसने इसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
अप्रैल 2021 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच अपने हाथ में लेने के तुरंत बाद तत्कालीन एपीआई सचिन वेज़, जो शुरू में मामले की जांच कर रहे थे, उनको शर्मा सहित नौ अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया। यह केंद्रीय एजेंसी का मामला है कि शर्मा ने कथित तौर पर मामले में सबूत नष्ट करने में वेज़ की मदद की और वह अपने लोगों की मदद से हिरन की हत्या की साजिश रचने के साथ-साथ उसे अंजाम देने में भी शामिल था।
शर्मा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 201, 302, 364, और 403, और शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 2002 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी के बाद से वह हिरासत में हैं।
फरवरी 2022 में विशेष एनआईए अदालत ने मुंबई के पूर्व पुलिसकर्मी द्वारा दायर जमानत याचिका खारिज कर दी। शर्मा ने यह दावा करते हुए जमानत मांगी कि आरोप पत्र में उनके खिलाफ आरोप ठाणे निवासी मनसुख हिरन की हत्या की साजिश में शामिल होने तक सीमित हैं।
आवेदन में यह भी दावा किया गया कि एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि वह उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास वाहन में विस्फोटक खरीदने या रखने में शामिल हैं। हालांकि, इन दलीलों को विशेष न्यायाधीश एटी वानखेड़े का समर्थन नहीं मिला।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भले ही सह-अभियुक्त रियाजुद्दीन काजी को जमानत दे दी, लेकिन जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस आरएन लड्ढा की खंडपीठ ने इस साल की शुरुआत में जनवरी में शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने जून में शर्मा को तीन सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी, जिससे पूर्व आईपीएस अधिकारी अपनी बीमार पत्नी से मिल सकें। उक्त अंतरिम जमानत को पिछले महीने अदालत ने दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया था।
केस टाइटल- प्रदीप रामेश्वर शर्मा बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 5764/2023