एयर इंडिया हादसा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा`—AAIB का काम दोष तय करना नहीं; केंद्र ने कहा—पायलट पर कोई आरोप नहीं
एयर इंडिया विमान दुर्घटना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि AAIB (एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो) की जांच का मकसद किसी को दोषी ठहराना नहीं, बल्कि दुर्घटना की वजह जानना है ताकि ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोका जा सके।
केंद्र सरकार ने भी कोर्ट को बताया कि जांच के लिए एक तय कानून और अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया मौजूद है, और AAIB ने अपनी रिपोर्ट में किसी को दोषी नहीं बताया है। सरकार ने कहा कि अंतरिम रिपोर्ट आने के बाद लोगों में पायलट की गलती को लेकर गलतफहमी हुई थी, इसलिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने प्रेस नोट जारी कर साफ किया कि किसी पर दोष तय नहीं हुआ है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें 12 जून 2025 को अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद हुई एयर इंडिया फ्लाइट की दुर्घटना की स्वतंत्र और कोर्ट-निगरानी वाली जांच की मांग की गई है। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी।
याचिकाएँ
पहली याचिका सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन नाम की एक NGO ने दायर की है। उनका आरोप है कि AAIB की जांच सही तरीके से नहीं हुई और जरूरी डेटा—जैसे पूरा फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, पूरा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और अन्य तकनीकी रिकॉर्ड—सार्वजनिक नहीं किए गए। उनका कहना है कि AAIB ने शुरुआती रिपोर्ट में दुर्घटना का कारण “फ्यूल कटऑफ स्विचेज़” बताकर पायलट की गलती का संकेत दिया।
दूसरी याचिका पायलट कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता और 'फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स' ने लगाई है। उनका कहना है कि AAIB की जांच निष्पक्ष नहीं है, क्योंकि जांच टीम में वही अधिकारी शामिल हैं जिनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
सितंबर में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि प्रारंभिक रिपोर्ट के चुनिंदा हिस्सों के लीक होने से मीडिया में गलत धारणा बनी कि पायलट की गलती थी। कोर्ट ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि जांच पूरी होने तक गोपनीयता बहुत जरूरी है।
हाल ही में कोर्ट ने यह भी कहा कि पायलट सुमीत सभरवाल को दोष नहीं दिया जा सकता। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट का जिक्र आने पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा—
“यह गलत रिपोर्टिंग है। भारत में कोई नहीं मानता कि पायलट की गलती थी।”
आज का आदेश
आज सुप्रीम कोर्ट ने पायलट के पिता द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इसी तरह की दूसरी याचिका, जो एक छात्र ने दायर की थी, वह स्वीकार नहीं की जाएगी।
स्टोरी आगे अपडेट की जाएगी।