सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद गोवा ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच के कर्मचारियों के लिए पेंशन नियमों को मुख्य बेंच के अनुरूप अधिसूचित किया

Update: 2024-11-22 15:05 GMT

गोवा सरकार ने शुक्रवार (22 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच के कर्मचारियों के लिए पेंशन भुगतान मानदंडों को मुंबई की मुख्य बेंच और नागपुर और औरंगाबाद बेंच के अनुरूप किया।

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने पेंशन लाभ में देरी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच के पूर्व कर्मचारियों की शिकायतों से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले का निपटारा किया।

न्यायालय ने आदेश दिया,

“इस बात पर कोई विवाद नहीं कि अब 15 नवंबर 2024 को प्रकाशित नियम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा भेजे गए मसौदे के अनुसार हैं। हमारा ध्यान रिट याचिका नंबर 186 और 409/2023 में गोवा के बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 30 जुलाई 2024 को पारित निर्णय और आदेश की ओर आकर्षित किया जाता है। यह स्पष्ट है कि निर्णय के पैराग्राफ 41 के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित पुनर्निर्धारण ऊपर संदर्भित 15 नवंबर 2024 के नियमों के अनुसार होगा। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उक्त निर्णय के पैराग्राफ 41 के अनुसार बकाया भुगतान करने के लिए पहले ही एक वर्ष का समय दिया। राज्य सरकार बकाया का भुगतान यथासंभव शीघ्रता से और किसी भी स्थिति में हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित बाहरी सीमा के भीतर करने का प्रयास करेगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह प्रस्तुत मसौदे से महत्वपूर्ण विचलन के बावजूद चीफ जस्टिस के नाम पर परिवर्तित सेवा नियमों को अधिसूचित करने के लिए गोवा राज्य की आलोचना की थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को सूचित किया कि विवादास्पद सेवा नियमों को हटा दिया गया तथा नए अधिसूचित नियम बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा भेजे गए मसौदे के अनुरूप हैं।

जस्टिस ओक ने उल्लेख किया कि गोवा के मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर किया तथा पहले की गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगी। कार्यवाही के दौरान मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित थे।

न्यायालय ने पाया कि 15 नवंबर, 2024 को प्रकाशित संशोधित नियम बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा प्रस्तुत मसौदे का अनुपालन करते हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट के 30 जुलाई, 2024 के निर्णय का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वेतन का पुनर्निर्धारण तथा बकाया भुगतान नए नियमों के अनुसार होना चाहिए।

पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि किसी अतिरिक्त निर्देश की आवश्यकता नहीं है तथा रिट याचिका का निपटारा कर दिया।

केस टाइटल- गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट से रिटायर कर्मचारियों के लिए पेंशन लाभ बनाम गोवा राज्य

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