वकील ने यह खुलासा नहीं किया कि उसकी पत्नी मुवक्किल के मामले में प्रतिवादी है: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई का जुर्माना बरकरार रखा

Update: 2023-08-12 05:47 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पेशेवर कदाचार के दोषी पाए गए वकील का लाइसेंस निलंबित करने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) का फैसला बरकरार रखा। यह महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल की जांच के निष्कर्षों पर आधारित है कि वकील ने यह खुलासा नहीं किया कि उसकी पत्नी उसके द्वारा उठाए गए संपत्ति विवाद मामले में प्रतिवादी है।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस संजय करोल की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ बीसीआई के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें पेशेवर कदाचार का दोषी ठहराया गया।

अदालत ने हालांकि कहा कि वकील ने पहले ही 2016 में अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया, इसलिए उसके खिलाफ कुछ भी नहीं बचा।

अदालत ने कहा,

"ए-1 द्वारा दिनांक 22.07.2023 को हलफनामा दायर किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने वर्ष 2016 में अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी और वह भविष्य में अपनी कानूनी प्रैक्टिस फिर से शुरू नहीं करेंगे। इसे देखते हुए अब शिकायतकर्ता द्वारा की गई अपील में कुछ भी नहीं बचा है।"

जहां तक उनके बेटे का सवाल है, जो उनके साथ जूनियर असिस्टेंट के रूप में प्रैक्टिस कर रहा था, अदालत ने नरम रुख अपनाया, क्योंकि उसे प्रैक्टिस में केवल एक साल ही हुआ था और उसे संपत्ति में उसकी मां की व्यक्तिगत रुचि के बारे में पता नहीं चल सका।

अदालत ने उन्हें नया वचन पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और कहा,

"अंडरटेकिंग यह होनी चाहिए कि ए-2 उच्चतम पेशेवर मानकों को बनाए रखेगा और बार काउंसिल द्वारा बनाए गए नैतिकता के नियमों का पालन करेगा। ऐसा वचन देना उद्देश्य पर्याप्त होगा।"

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई द्वारा लगाए गए 1 लाख के जुर्माने की पुष्टि की और 50,000 शिकायतकर्ता को देने का निर्देश दिया, जबकि बाकी राशि एडवोकेट वेलफेयर फंट में दी जाएगी।

मामले की पृष्ठभूमि

शिकायतकर्ता ने कहा कि महिला ने संपत्ति के मालिकाना हक का दावा करते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया। उन्होंने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील और उनके प्रैक्टिशनर बेटे को नियुक्त किया, लेकिन उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि महिला वास्तव में वकील की पत्नी है।

पूरी जांच के बाद बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा की अनुशासन समिति ने वकील का लाइसेंस निलंबित कर दिया और उनके बेटे को फटकार लगाई।

अपील में बीसीआई ने जुर्माने की पुष्टि की और वकील को एक लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया। वकील के पुत्र को यह वचन देकर छोड़ दिया गया कि वह भविष्य में कोई दुराचार नहीं करेगा।

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