धोखाधड़ी या गलत बयानी न किए जाने पर कर्मचारी को किए गए अतिरिक्त भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-04-05 10:14 GMT
धोखाधड़ी या गलत बयानी न किए जाने पर कर्मचारी को किए गए अतिरिक्त भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि किसी कर्मचारी को किए गए अतिरिक्त भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती, यदि ऐसा भुगतान कर्मचारी की ओर से किसी धोखाधड़ी या गलत बयानी के कारण नहीं किया गया हो। साथ ही नियोक्ता की ओर से नियम के किसी गलत प्रयोग या गलत गणना के कारण कर्मचारी को किया गया अतिरिक्त भुगतान वसूली योग्य नहीं है।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ उड़ीसा जिला न्यायपालिका में स्टेनोग्राफर और पर्सनल असिस्टेंट के रूप में काम कर रहे व्यक्तियों द्वारा अतिरिक्त भुगतान की वसूली के खिलाफ दायर अपीलों पर फैसला कर रही थी। अपीलकर्ताओं से 20,000 से 40,000 रुपये की राशि वसूलने की मांग की गई। वसूली का आदेश उनके रिटायरमेंट के लगभग तीन साल बाद और भुगतान के छह साल बाद दिया गया।

हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिकाओं को खारिज किए जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जस्टिस नरसिम्हा द्वारा लिखित निर्णय में थॉमस डेनियल बनाम केरल राज्य एवं अन्य (2022) में 2022 के निर्णय सहित विभिन्न उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा गया:

"इस न्यायालय ने लगातार यह विचार रखा कि यदि कर्मचारी की ओर से किसी गलत बयानी या धोखाधड़ी के कारण अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया या यदि नियोक्ता द्वारा वेतन/भत्ते की गणना के लिए गलत सिद्धांत लागू करके या नियम/आदेश की किसी विशेष व्याख्या के आधार पर ऐसा अतिरिक्त भुगतान किया गया, जिसे बाद में गलत पाया जाता है तो पारिश्रमिक या भत्ते के ऐसे अतिरिक्त भुगतान वसूली योग्य नहीं हैं। यह माना जाता है कि वसूली के विरुद्ध ऐसी राहत कर्मचारी के किसी अधिकार के कारण नहीं है, बल्कि न्यायसंगत रूप से कर्मचारी को उस कठिनाई से राहत प्रदान करने के लिए न्यायिक विवेक का प्रयोग करते हुए है, जो वसूली का आदेश दिए जाने पर होगी।"

थॉमस डेनियल में न्यायालय ने माना था कि निम्नलिखित स्थितियों में वसूली की अनुमति नहीं होगी:

(i) तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी सेवा (या समूह सी और समूह डी सेवा) से संबंधित कर्मचारियों से वसूली।

(ii) रिटायर कर्मचारियों या एक वर्ष के भीतर रिटायर होने वाले कर्मचारियों से वसूली।

(iii) कर्मचारियों से वसूली, जब वसूली का आदेश जारी होने से पहले पांच वर्ष से अधिक अवधि के लिए अतिरिक्त भुगतान किया गया हो।

(iv) ऐसे मामलों में वसूली, जहां किसी कर्मचारी को गलत तरीके से उच्च पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने की आवश्यकता होती है, उसे तदनुसार भुगतान किया जाता है, भले ही उसे उचित रूप से निम्न पद के विरुद्ध काम करने की आवश्यकता होती।

(v) किसी अन्य मामले में जहां न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि यदि कर्मचारी से वसूली की जाती है, तो वह इस हद तक अन्यायपूर्ण या कठोर या मनमानी होगी, जो नियोक्ता के वसूली के अधिकार के न्यायसंगत संतुलन से कहीं अधिक होगी।

यहां न्यायालय ने नोट किया कि अतिरिक्त भुगतान प्राप्त करने में याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई धोखाधड़ी या गलत बयानी नहीं की गई थी। साथ ही वसूली का आदेश देने से पहले उन्हें सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया।

न्यायालय ने उनकी अपील स्वीकार करते हुए कहा,

"अपीलकर्ता स्टेनोग्राफर के मंत्री पद से रिटायर हो चुके हैं। इस तरह से किसी राजपत्रित पद पर नहीं हैं। इस न्यायालय द्वारा उपर्युक्त उद्धृत निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत को लागू करते हुए वसूली को अस्थिर पाया गया।"

केस टाइटल: जोगेश्वर साहू एवं अन्य बनाम जिला न्यायाधीश कटक एवं अन्य

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