अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज़ ने 200 करोड़ मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज़ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने 200 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग केस (अभियुक्त सुकेश चंद्रशेखर से जुड़ा) में दायर ईडी की ECIR और दूसरी सप्लीमेंट्री शिकायत, जिसमें उन्हें दसवां आरोपी बनाया गया था, को रद्द करने की मांग की थी। अंतरिम राहत के तौर पर उन्होंने ट्रायल पर रोक लगाने की मांग भी की है।
जैकलीन का कहना है कि ईडी की फ़ाइल की गई सामग्री साबित करती है कि वह सुकेश की “धोखाधड़ी का शिकार” हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यह ईडी का भी स्वीकार किया हुआ मामला है कि तिहाड़ जेल अधिकारियों ने सुकेश को मोबाइल और तकनीकी साधनों की खुली सुविधा दी, जिसका उपयोग उसने मूल शिकायतकर्ता और कई कलाकारों को ठगने में किया।
हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि आत्म-अभियोग (self-incrimination) का डर ECIR को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता, क्योंकि क़ानून और संविधान में पहले से पर्याप्त सुरक्षा मौजूद है। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपों और “जानकारी” (knowledge) की परिभाषा जैसी बातें ट्रायल में ही तय होंगी।
अब सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जैकलीन ने कहा है कि वह प्रीडिकेट अपराध (predicate offence) में अभियोजन गवाह हैं और सुकेश व उसकी सहयोगी पिंकी ईरानी ने उन्हें यह विश्वास दिलाने की कोशिश की थी कि सुकेश एक सफल व्यवसायी है जिसे राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जाता है। उनका तर्क है कि बिना किसी वैध सबूत के उन्हें PMLA की धारा 3 के तहत ट्रायल का सामना करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि अभियोजन के रिकॉर्ड से ही साफ़ है कि उनके पास कोई mens rea (अपराध की मंशा) नहीं थी और न ही इस बात का सबूत है कि उन्हें उपहारों के अपराध से जुड़े होने की जानकारी थी।