अगर एक बेटी अपने पिता से उसकी शिक्षा में सहयोग की उम्मीद कर रही है तो उसे भी बेटी की भूमिका निभानी होगी: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-12-10 02:48 GMT
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद की सुनवाई करते हुए कहा कि एक बेटी को यह समझना चाहिए कि अगर वह पिता से उसकी शिक्षा में सहयोग की उम्मीद कर रही है तो उसे भी बेटी की भूमिका निभानी होगी।

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने कहा कि बेटी ने पिता से मिलने या उनसे फोन पर बात करने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने कहा,

"बेटी को इस बात की भी सराहना करनी चाहिए कि अगर वह पिता/अपीलकर्ता से उसकी शिक्षा में सहयोग की उम्मीद कर रही है, तो उसे भी बेटी की भूमिका निभानी होगी।"

वर्तमान मामले में, बेंच ने पहले दोनों पक्षकारों (पति और पत्नी) को उनके तलाक के लिए एक औपचारिक समझौता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता सेंटर में भेजा था।

पीठ ने मंगलवार को कहा कि मध्यस्थता सफल नहीं रही है। हालांकि, पक्षकारों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद कि पक्षकारों की भौतिक उपस्थिति के साथ मध्यस्थता करने के लिए एक और प्रयास किया जा सकता है, बेंच ने मामले को फिर से सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

बेंच पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पति द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वैवाहिक न्यायालय द्वारा पारित डिक्री को रद्द करने और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक के एक डिक्री द्वारा विवाह को भंग करने के लिए दायर एक याचिका की अनुमति दी गई थी।

27 अक्टूबर को बेंच ने नोट किया था कि पक्षकारों के वकील के हस्तक्षेप के साथ पक्ष वर्तमान मामले में एक समझौता करने के लिए सहमत हुए हैं।

पत्नी की ओर से पेश वकील ने अदालत को सूचित किया कि पत्नी के लिए भरण-पोषण और बच्चे की शिक्षा की देखभाल सहित कुछ नियमों और शर्तों पर पत्नी को तलाक स्वीकार्य है, जिसे अब डेंटल कॉलेज में प्रवेश मिल गया है। पति को भी यही मंजूर था।

बेंच ने इन शर्तों में औपचारिक समझौता करने और बेटी को भी मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कहते हुए अदालत के समक्ष दायर करने के लिए पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में भेजा था।

अपीलकर्ता-पति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता तथा प्रतिवादी-पत्नी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विराज आर. दातार पेश हुए।

केस का शीर्षक - अजय कुमार राठी बनाम सीमा राठी

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