1984 सिख विरोधी दंगा : सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में CBI से अन्य मामले के ट्रायल की स्टेटस रिपोर्ट मांगी
वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से सज्जन कुमार के खिलाफ पटियाला हाउस अदालत में चल रहे दूसरे मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. ए.बोबड़े और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा है कि सीबीआई वर्ष 1984 मामले में चल रहे अन्य ट्रायल को लेकर अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। पीठ ने ये सुनवाई 15 अप्रैल को सूचीबद्ध की है।
सीबीआई ने फिर किया कुमार की जमानत का विरोध
वहीं इस दौरान सीबीआई ने फिर से सज्जन कुमार की जमानत का विरोध किया और कहा कि वो वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों का किंगपिन रहा है और उसके इशारे पर ही यह हिंसा हुई थी।
सीबीआई का मानना है कि वो गवाहों को प्रभावित कर सकता है और फिलहाल एक अन्य मामले में उसका ट्रायल चल रहा है। वैसे भी वो हाई कोर्ट के दोषी ठहराए जाने से पहले अग्रिम जमानत पर ही था।
वहीं सज्जन कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने कहा कि कुमार की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उसे जमानत दी जानी चाहिए।
पहले भी सीबीआई ने जमानत अर्जी का किया था विरोध
इससे पहले सज्जन कुमार की याचिका पर CBI ने उसकी जमानत का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जांच एजेंसी ने कहा है कि सज्जन कुमार शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति है, और उसके जेल से बाहर आने पर मामलों के गवाह प्रभावित हो सकते हैं। CBI ने कहा है कि सज्जन कुमार की जमानत अर्जी में कोई योग्यता नहीं है और उसे खारिज किया जाना चाहिए।
14 जनवरी को सज्जन कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था। सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने सज्जन कुमार की जमानत देने की अर्जी पर भी सीबीआई को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा था।
इससे पहले 21 दिसंबर को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली थी।
सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि जो आधार अर्जी में दिए गए हैं वो सही नहीं हैं।
दरअसल सज्जन कुमार ने 20 दिसंबर को ही अर्जी देते हुए गुहार लगाई थी कि उसे आत्मसमर्पण करने के लिए 30 दिनों की मोहलत और दी जाए। इसके लिए आधार देते हुए उसने कहा था कि उसका परिवार बड़ा है और उसे संपत्ति का सेटलमेंट करना है। ऐसे में उसको आत्मसमर्पण के लिए और वक्त चाहिए। अर्जी में संबंधियों व परिचितों से मिलने की बात कही गई थी। इसके बाद सज्जन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी लेकिन वेकेशन में सुनवाई से इनकार कर दिया गया।
इससे पहले 17 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के
न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्
आरोपी के ख़िलाफ़ मामला न्यायमू
हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा 3 अन्य दोषियों- कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कांग्रे