सुप्रीम कोर्ट ने ' PM नरेंद्र मोदी' फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया

Update: 2019-04-09 11:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम चुनावों से पहले पीएम नरेंद्र मोदी पर बायोपिक की रिलीज पर रोक की मांग करने वाली कांग्रेस नेता अमित पंवार की याचिका को खारिज कर दिया है।

CBFC है मामले में सक्षम प्राधिकरण
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ का मानना ​​था कि CBFC, जोकि एक सक्षम प्राधिकारी है, द्वारा फिल्म को रिलीज के लिए अभी तक प्रमाणित नहीं किया गया है, इसलिए यह याचिका अपरिपक्व है।

इसके अलावा पीठ का मानना था कि भले ही प्रमाणपत्र प्रदान किया गया हो, चाहे फिल्म किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में संतुलन स्थापित करती हो, ये मामला चुनाव आयोग द्वारा देखा जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने बताई फ़िल्म से आपत्तियां
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि ट्रेलर की शुरुआत एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले एक अति उत्साही युवा लड़के के साथ होती है, जिसका चित्रण 'मैं एक मामूली चायवाला देश का पीएम बन गया' के तौर पर किया गया, ट्रेलर के साथ जारी किया गया गाना वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों से भाजपा का अभियान है। पीएम मोदी के कुछ लोकप्रिय संवादों को फिल्म में जगह दी गयी है ('फकीर हूं, झोला उठाकर चल दूंगा') और जहां पीएम पाकिस्तान को चुनौती देते हैं। फिल्म के गीतकार (प्रसून जोशी) CBFC के अध्यक्ष भी हैं।

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दृश्य का प्रभाव कहीं ज्यादा मजबूत होता है। फिल्म के संबंध में 'चौकीदार' शब्द के इस्तेमाल को भी हरी झंडी दिखाई गई जो कि पीएमओ के आधिकारिक हैंडल का भी उपसर्ग है।

फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोगों का भाजपा से संबंध
वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि एक आनंद पंडित, जो इस बायोपिक के निर्माता हैं, भाजपा के वाणिज्य प्रकोष्ठ के संयोजक भी है। एक अन्य निर्माता आचार्य मनीष भी पीएम की टीम का हिस्सा बन गए है जबकि तीसरे निर्माता सुरेश ओबेरॉय (जो अभिनेता विवेक ओबेरॉय के पिता हैं, जो फिल्म में पीएम मोदी की भूमिका निभा रहे हैं) वर्ष 2004 से भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं।

इसके अलावा फिल्म निर्माता संदीप सिंह ने जनवरी, 2019 में गुजरात सरकार के साथ 100 करोड़ रुपये का करार किया था। साथ ही फिल्म के नायक विवेक ओबेरॉय को 2 दिन पहले ही भाजपा के आधिकारिक स्टार प्रचारक के रूप में अधिसूचित किया गया है।

उन्होंने कहा, "चुनावी कानून में स्तरीय खेल का सबसे अधिक महत्व है! मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद कर दिया जाता है लेकिन इस फ़िल्म के जरिये यह 40 दिनों तक जारी रहेगा।"

"अदालत का समय नष्ट नहीं होना चाहिए", मुख्य न्यायाधीश
इसी दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, "अदालत का अधिकांश समय इन गैर-मुद्दों द्वारा लिया जाता है। अपनी प्रार्थनाओं को देखें और बताएं क्या यह आपका मामला है कि फिल्म को रिलीज के लिए प्रमाणित किया गया है? हमें मजबूर न करें।"

सिंघवी ने पीठ को बताया कि चुनाव आयोग को इस संबंध में 20 मार्च को प्रतिनिधित्व किया गया था लेकिन उसने अभी भी इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया है। आदर्श आचार संहिता पहले ही लागू हो चुकी है। अदालत इसी के लिए है। ये एक बुनियादी संरचना से संबंधित एक संवैधानिक मामला है।

"हम ऐसा नहीं सोचते हैं" मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने मामले में आदेश देने के लिए आगे बढ़ते हुए कहा। याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने दर्ज किया कि उसने फिल्म के ट्रेलर को देखने से इनकार कर दिया है "क्योंकि फिल्म का 2 मिनट का दृश्य आगामी आम चुनाव में फिल्म के प्रभाव को जानने में मदद नहीं कर सकता।"

पीठ ने यह भी कहा कि फिल्म के रिलीज पर परिस्थितियां चुनाव आयोग द्वारा देखने के लिए है और अगर याचिकाकर्ता के सभी दावे सही पाए जाते हैं तो वे उस राहत के हकदार होंगे जो उन्होंने मांगा है कि चुनाव से 48 घंटे पहले फिल्म का प्रदर्शन नहीं होगा।

Tags:    

Similar News