हेराल्ड हाउस को लेकर AJL ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ में दाखिल की याचिका, बिल्डिंग खाली कराने के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की गुहार
दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ के दिल्ली स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के आदेश को चुनौती देने की याचिका पर हाईकोर्ट में खंडपीठ के सामने सोमवार को सुनवाई शुरू हो गई।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. कामेश्वर राव की पीठ के सामने एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी को 10 जून 2016 को पहला नोटिस भेजा गया था और इस नोटिस में तो प्रिंटिंग प्रेस के नहीं चलने की बात ही नहीं की गई थी। ये एक कारण बताओ नोटिस था और नोटिस के बाद 1.5 साल तक कुछ नहीं कहा गया। 5 अप्रैल 2018 को दूसरा नोटिस दिया गया और दूसरे नोटिस में भी प्रिंटिंग प्रेस के संबंध में कोई बात नहीं कही गई। 18 जून 2018 को भेजे गए तीसरे नोटिस में प्रिंटिंग प्रेस की बात कही गई।
उनका कहना था कि, हम नवंबर 2016 से प्रेस चला रहे हैं। तकनीक इतने सालों में बदल गई है और लीज़ में कहीं नहीं कहा गया कि परिसर से ही छपाई का कार्य होना चाहिए। दूसरे अखबारों के प्रेस भी नोएडा में है। अब जमाना डिजिटल अखबार का है।
सिंघवी ने कहा कि किसी इमारत को किराए पर नहीं दिया जा सकता, ऐसा कोई नियम नहीं है। कई इमारतों में ये किया गया है। उन्होंने दलील दी कि लीज़ में कोई ऐसा नियम नहीं है कि शेयर किसी और को नहीं दिए जा सकते और ये संपत्ति बेची नहीं गई है बल्कि शेयर ट्रांसफ़र किए हैं।
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि AJL की तरफ़ से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। वर्ष 2008 से लेकर 2017 तक बिल्डिंग में किसी तरह का कोई प्रकाशन कार्य नहीं हो रहा था और बिल्डिग का इस्तेमाल दूसरे काम के लिए हो रहा था।
इन्होंने एक वेब साप्ताहिक शुरू किया है जो कि नोएडा से चल रहा है और AJL ने ये कंपनी, दूसरी कंपनी यंग इंडिया को बेच दी है। SG ने कहा कि आयकर विभाग के नोटिस के मुताबिक वर्ष 2008 में पूरे अख़बार को बंद कर दिया था और सभी काम करने वालों को वीआरएस दे दिया गया था। चेयरमैन को निरीक्षण करने हेतु नोटिस भेजा गया था और सितंबर 2016 में निरीक्षण भी किया गया था। इस दौरान टीम को प्रिंटिंग का कोई सामान नहीं मिला था।
निरीक्षण में पाया गया था कि पहला तल पासपोर्ट ऑफिस को दिया गया है जबकि दूसरे और तीसरे तल किसी और को और चौथा कल AJL के पास है। हमें कहा गया था कि प्रिंटिंग शुरू की जाएगी पर वर्ष 2008 से 2016 तक कोई प्रिंटिंग नहीं की गई।
अब पीठ 1 फरवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी।
दरअसल एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका दाखिल कर एकल पीठ के 21 दिसंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनसे 2 हफ्ते के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने को कहा गया था।
शनिवार शाम को दाखिल इस याचिका में न्याय के हित में 21 दिसंबर के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर इमारत खाली करने के आदेश पर तुरंत रोक नहीं लगी तो याचिकाकर्ता को अपूरणीय नुकसान होगा।
इस याचिका में कहा गया है कि एकल पीठ ने इस संबंध में दिए गए तथ्यों व कानूनी पहलुओं पर सही से गौर नहीं किया है। याचिका में इसी तरह लीज पर दिए गए अन्य स्थानों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वहां पर भी इमारत के तलों को किराए पर दिया गया है।
दरअसल 21 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को 2 हफ्तों के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने के आदेश दिए थे। जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर 2 हफ्ते में AJL ने इमारत खाली नहीं की तो उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी।
इस दौरान हाईकोर्ट ने AJL के 99 फीसदी शेयर, यंग इंडियन कंपनी को ट्रांसफर करने पर भी बडे सवाल उठाते हुए कहा कि AJL को यंग इंडियन कंपनी द्वारा हाईजैक कर लिया है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जिस मक़सद के लिए उन्हें यह जगह दी गई थी, वो मकसद अब अस्तित्व में नहीं है। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर पर अखबार का दफ्तर होना चाहिए था, उसे टॉप फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया गया है और वहां अब बमुश्किल कोई प्रेस एक्टिविटी होती है।
अपने इस फैसले में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के उस नोटिस को सही ठहराया है जिसमे हेराल्ड हाउस लीज का उल्लंघन करने के चलते इमारत खाली करने को कहा गया था। फैसले में कहा गया कि हेराल्ड हाउस को लीज पर देने का मुख्य उद्देश्य अब खत्म हो गया है। याचिकाकर्ता ने इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया जिससे यह सिद्ध हो सके कि उनके खिलाफ गंभीर दुर्भावनापूर्वक यह कार्यवाही की गयी है।
वे यह भी नहीं बता सके कि सत्ता में बैठी सरकार के इस नोटिस से पंडित नेहरू की किस प्रकार से मानहानि हुई या इस नोटिस ने उन्हें किस प्रकार से प्रभावित किया। AJL इस पर भी चुप है कि उसके प्रिंट और ऑनलाइन एडिशन का भारत भर में प्रसार कितना है।
जस्टिस गौड़ ने आने फैसले में कहा कि यंग इंडियन कंपनी के स्टेक होल्डर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती वाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडिस हैं। AJL की 413.40 करोड की संपत्ति के 99 फीसदी शेयर गुपचुप तरीके से यंग इंडियन कंपनी को फायदे के लिए ट्रांसफर किए गए।
यंग इंडियन कंपनी, चेरिटेबल कंपनी है लेकिन ये AJL के 99 फीसदी शेयर ट्रांसफर करने का एक तरीका था। AJL का यंग इंडियन कंपनी में शेयर ट्रांसफर का तरीका, सवालों के घेरे में है। इस केस में तकनीकी तौर पर बिक्री, गिरवी रखकर या उपहार के तौर पर AJL के फायदे, यंग इंडियन में ट्रांसफर नहीं किए गए।
22 नवंबर को दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग की लीज़ खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए यथास्थिति बरकरार रखने को कहा था।
नेशनल हेराल्ड ने शहरी विकास मंत्रालय के 30 अक्टूबर के नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस नोटिस में उसके 56 साल पुरानी लीज़ को खत्म करते हुए आईटीओ के प्रेस एनक्लेव स्थित हेराल्ड बिल्डिंग को खाली करने को कहा गया था।