सबरीमला : सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ 6 फरवरी को करेगी पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई

Update: 2019-01-31 17:45 GMT

केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ में 6 फरवरी को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी सर्कुलर में ये जानकारी दी गई है। पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन एफ. नरीमन, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं। इससे पहले ये सुनवाई 22 जनवरी को होनी थी। 15 जनवरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि 5 जजों की संविधान पीठ में शामिल जस्टिस इंदु मल्होत्रा मेडिकल कारणों से छुट्टी पर हैं। इस वजह से 22 जनवरी को तय सुनवाई नहीं हो पाएगी।

करीब 49 पुनर्विचार याचिकाओं के अलावा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केरल सरकार ने सबरीमला मंदिर को लेकर केरल हाईकोर्ट में दाखिल 23 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है।

याचिका में कहा गया है कि ये सभी 23 याचिकाएं अप्रत्यक्ष तौर पर सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में बाधा पहुंचाने के लिए दाखिल की गई हैं।

इसके अलावा केरल सरकार ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें 3 सदस्यों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए गए हैं जो सबरीमला मंदिर में सुरक्षा व अन्य इंतजामों की निगरानी करेगी।

गौरतलब है कि 19 नवंबर 2018 को इस मामले में त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से 28 सितंबर के सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के आदेश को लागू करने के लिए कुछ और वक्त देने की गुहार लगाई है। याचिका में इस मामले के चलते बिगड़ी कानून व्यवस्था का हवाला दिया गया है।

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत महिलाओं के प्रवेश के लिए शौचालयों का प्रबंध व अन्य व्यवस्था करने में भी वक्त लगेगा, क्योंकि पंबा व निलक्कल में CEC ने निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। ये इलाका संरक्षित वन क्षेत्र में आता है।

ऐसे में जब तक बोर्ड, कमेटी के सारे नियमों का पालन नहीं करता है तब तक वहां किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं हो सकता और ना ही महिलाओं के लिए उचित सुविधाओं का इंतजाम हो सकता है।

बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया है कि अभी तक 1000 महिलाओं ने मंदिर में दर्शन के लिए पंजीकरण कराया है। बोर्ड ने गुहार लगाई है कि महिलाओं के लिए रेस्ट रूम, शौचालयों व सुरक्षा के मद्देनजर इंतजाम करने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए उन्हें वक्त दिया जाए।

इससे पहले एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट, सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। 13 नवंबर 2018 को फैसला किया गया कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन एफ. नरीमन, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ, खुली अदालत में 22 जनवरी 2019 को इस मामले पर सुनवाई करेगी। पीठ ने ये भी साफ किया कि इस दौरान 28 सितंबर 2018 के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में 28 सितंबर के 5 जजों के संविधान पीठ के फैसले को लेकर 49 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं। फैसले में 4:1 के बहुमत से कहा गया कि सभी उम्र की महिलाएं, केरल के सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं।

पीठ ने अपने फैसले में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को अंसवैधानिक करार दिया है। इसी पर पीठ ने चेंबर में विचार किया और फिर आदेश जारी किया। इससे पहले संविधान पीठ में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो चुके हैं और उनकी जगह मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ली है।

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