जनिए, कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त जज ज‌स्टिस जेके माहेश्वरी

Update: 2021-08-30 09:30 GMT

श्रुति कक्कड़ 

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किए गए जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट और सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में काम किया है।

29 जून, 1961 को मध्य प्रदेश के जिला मुरैना के छोटे से शहर जौरा में जन्मे जस्टिस जेके माहेश्वरी ने 1982 में बीए की ड‌िग्री ली और 1985 एलएलबी पास किया। 1991 में उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से एलएलएम की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने पीएचडी भी की, जिसमें उनका विषय-"मध्य प्रदेश राज्य के संदर्भ में चिकित्सकीय कदाचार" था।

उन्हें 22 नवंबर, 1985 को मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकित किया गया, जिसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, मुख्य रूप से जबलपुर की प्रिंसिपल सीट, ग्वालियर बेंच, और सुप्रीम कोर्ट में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, सेवा और कर मामलों में प्रैक्टिस की। जस्टिस माहेश्वरी को 25 नवंबर, 2005 को मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 25 नवंबर, 2008 को स्थायी किया गया।

7 अक्टूबर, 2019 को जस्टिस जेके माहेश्वरी को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में स्थानांतरित किया गया और उन्होंने 07 अक्टूबर, 2019 को पदभार ग्रहण किया। वह नव स्थापित आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस थे। उन्हें 5 जनवरी, 2021 को सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में स्थानांतरित किया गया था।

उल्लेखनीय आदेश और निर्णय

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस जेके माहेश्वरी ने 4620 मामलों का समाधान किया था।

COVID प्रबंधन की निगरानी

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि स्वास्थ्य कर्मियों के पास आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण हों।

चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने पैदल चलने वाले प्रवासियों के लिए अस्थायी शेड बनाने और नोडल अधिकारियों के साथ पंजीकरण के 48 घंटे के भीतर बस/ ट्रेन से उनकी यात्रा सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए थे।

उनके नेतृत्व वाली पीठ ने दूसरी लहर के दौरान सिक्किम राज्य के COVID ​​​​प्रबंधन पर भी कड़ी नजर रखी। उस समय वह सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किए गए थे। जस्टिस माहेश्वरी ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य को COVID-19 महामारी की स्थिति से निपटने के लिए अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस माहेश्वरी की अगुवाई वाली पीठ ने COVID-19 संकट के प्रबंधन के संबंध में कहा था, " न हम देखते हैं और न ही हमें तर्कसंगत और नियोजित विचार प्रक्रिया प्रदान की जाती है। आकस्मिक परिस्थितियों को जरूरत के आधार पर पूरा किया गया है।"

गुमशुदा व्यक्ति के मामलों में जांच के लिए एसओपी

सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस जेके माहेश्वरी ने जून 2013 से लापता एक 14 वर्षीय लड़की से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और महानिदेशक को राज्य में बच्चों सहित गुमशुदगी के मामलों में एक एसओपी के साथ आने का निर्देश दिया।

उन्होंने एसओपी के लिए जांच अधिकारियों और उनकी टीम द्वारा पालन की जाने वाली आवश्यक कार्रवाई को शामिल करने का भी निर्देश दिया और कहा कि यदि उल्लंघन किया जाता है, तो ऐसे जांच अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए प्रासंगिक नीतियों को लागू करने का राज्य का कर्तव्य

सिक्किम में वृद्धाश्रमों के निर्माण के संबंध में स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए जारी केंद्र के निर्देशों अनुसार राज्य सरकार के लिए प्रासंगिक नीतियां बनाना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

आंध्र प्रदेश के विजाग में 'स्टाइरीन' गैस के रिसाव का स्वत: संज्ञान लिया

चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विजाग में 'स्टाइरीन' गैस के रिसाव का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए थे। हादसे में कई लोग हताहत हुए थे। मामले में कुछ निर्देश सरकार को भी जारी किए गए थे-

-आस-पास के क्षेत्रों से अग्निशमन सेवाओं की तैनाती का अनुरोध करें और पानी या अन्य पदार्थों के छिड़काव से गैस रिसाव के प्रभाव को कम करने के लिए "तत्काल कदम" उठाएं, जिससे और नुकसान न हो।

-साथ ही बार-बार गैस लीकेज की जांच करें

-गतिविधियों की निगरानी और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए प्रधान सचिवों के पद से नीचे के अधिकारियों की एक समिति की नियुक्ति।

बेंच ने एलजी पॉलिमर इंडिया लिमिटेड की मूल कंपनी एलजी केमिकल लिमिटेड के सात दक्षिण कोरियाई कर्मचारियों, को भारत छोड़ने की अनुमति दी थी। वो कंपनी ही विशाखापट्टनम के पास स्टाइरीन गैस के रिसाव का स्रोत थी।

भाषण की स्वतंत्रता में मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम चुनने का अधिकार शामिल है

डॉ श्रीनिवास गुंटुपल्ली बनाम आंध्र प्रदेश राज्य व अन्य में चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक उल्लेखनीय निर्णय दिया था, जिसमें उसने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर अंग्रेजी को शिक्षा के अनिवार्य माध्यम के रूप में लागू करने के सरकारी आदेशों को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि स्कूली शिक्षा में शिक्षा का माध्यम चुनने का विकल्प मौलिक अधिकार है। पीठ ने टिप्पणी की थी, "शिक्षा का माध्यम, जिसमें नागरिक को शिक्षित किया जा सकता है, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न अंग है।"

जब एक उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा हो तो नोटा उपलब्ध नहीं होगा

एवी बद्र नागा सेशैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में उन्होंने कहा था कि जब चुनाव में एक भी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा हो तो नोटा का विकल्प उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है और उम्मीदवार को सर्वसम्मति से निर्वाचित घोषित किया जाएगा।

नाबालिग बलात्कार-हत्या मामले में युवक की मौत की सजा में बदलाव

(द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश खुरई, जिला सागर से प्राप्त) बनाम सुनील आदिवासी मामले के संदर्भ में चीफ जस्टिस जे के माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने 9 साल की लड़की के बलात्कार और हत्या के आरोपी एक युवक की मौत की सजा में बदलाव करते हुए कहा था," रिकॉर्ड बताता है कि आरोपी की मां ने उसे छोड़ दिया था और वह अकेला रह रहा था। 21 वर्ष की उम्र से अपने परिवार से अलग रह रह रहे आरोपी का यह पहला अपराध है, इसलिए उसमें पुनर्वास और सुधार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी उपलब्ध नहीं है जिससे यह पता चले कि वह समाज का एक उपयोगी सदस्य नहीं हो सकता।"

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में तूफानी कार्यकाल

आंध्र प्रदेश के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस माहेश्वरी में राज्य सरकार के कई महत्वपूर्ण फैसलों में हस्तक्षेप किया था।

चीफ जस्टिस माहेश्वरी की अगुवाई वाली बेंच ने सत्तारूढ़ वाईएसआरसी पार्टी के झंडे और रंगों को सरकारी कार्यालयों से हटाने का निर्देश दिया था (आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था )। साथ ही, राज्य की राजधानी को कार्यकारी, विधायी और न्यायिक राजधानियों के रूप में तीन शहरों में विभाजित करने के राज्य सरकार के फैसले पर चीफ जस्टिस माहेश्वरी की पीठ ने रोक लगा दी।

चीफ जस्टिस माहेश्वरी ने अमरावती भूमि घोटाले में राज्य सरकार द्वारा दिए गए एसआईटी जांच के आदेश पर भी रोक लगा दी थी और मीडिया को एफआईआर की सामग्री को रिपोर्ट करने से रोक दिया थ। मीडिया पर रोक लगाने के आदेश को बाद में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने नवंबर 2020 में दायर एक अपील में रोक दिया।

मई 2020 में, जस्टिस माहेश्वरी की नेतृत्व वाली पीठ ने हाईकोर्ट के जजों को बदनाम करने और डराने-धमकाने के आरोप में 49 व्यक्तियों, जिनमें से कुछ सत्ताधारी दल से जुड़े हुए थे, के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की थी।

जस्टिस जेके माहेश्वरी ने एक जनहित याचिका पर केंद्र, राज्य सरकार, सीवीसी, सीबीआई और ट्राई को भी नोटिस जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि "राजनीतिक ह‌स्तियों की सक्रिय शह" पर "न्यायपालिका की प्रतिष्ठित छवि को धूमिल करने" के लिए 'आंध्र प्रदेश के हाईकोर्ट के कुछ जजों के फोन की निगरानी की जा रही है, उन्हें टेप किया जा रहा है।

अक्टूबर 2020 में, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस को एक पत्र भेजा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने उस समय सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस रमना पर आरोप लगाया कि वो न्याय प्रशासन को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया था ।

6 जनवरी, 2021 को जस्टिस माहेश्वरी को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट से सिक्किम हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 29 जून, 2026 तक होगा।

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