'नबन्ना मार्च' के दौरान पुलिस कार्रवाई के विरोध में BJP द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के 'बंद' को हाईकोर्ट में चुनौती

Update: 2024-08-28 06:02 GMT

आरजी कर अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या के सिलसिले में राज्य सचिवालय भवन नबन्ना की ओर मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के बंद को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।

BJP को इस तरह का बंद बुलाने से रोकने के लिए न्यायालय से अनुरोध करते हुए याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर आधारित है, जिसने बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न पर एमवीए को "महाराष्ट्र बंद" बुलाने से रोक दिया था।

विभिन्न छात्र संगठनों ने मामले को CBI को सौंपे जाने से पहले राज्य प्रशासन द्वारा डॉक्टर की मौत की जांच के कथित कुप्रबंधन के विरोध में नबन्ना तक मार्च का आह्वान किया।

हालांकि, "शांतिपूर्ण मार्च" के दौरान बढ़ते उपद्रव के कारण पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें, लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे।

BJP पदाधिकारियों ने इसे गलत साबित कर दिया। नेता डॉ. सुकांत मजूमदार ने राज्य सचिवालय तक मार्च करने वालों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के विरोध में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया।

BJP के उच्च नेताओं द्वारा हड़ताल के आह्वान को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया कि इस तरह के "अवैध कृत्य" से सार्वजनिक जीवन ठप्प हो जाएगा।

याचिका में कहा गया,

"ऐसे अवैध और अघोषित बंद के कारण सामान्य जन-जीवन ठप्प हो जाएगा, क्योंकि नागरिक अपने आवागमन के लिए परिवहन सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे और सार्वजनिक संपत्ति के नष्ट होने और नुकसान की संभावना है, जिससे आम जनता को चोट लग सकती है। बेशक, यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि किसी राजनीतिक दल द्वारा बुलाए गए बंद के कारण सामान्य जन-जीवन ठप्प न हो और/या प्रभावित न हो। इसलिए याचिकाकर्ता BJP द्वारा बुलाए गए बंद से व्यथित और असंतुष्ट है।"

केस टाइटल: संजय दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

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